UPI Payment: नोटबंदी के बाद से डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिला. डिजिटल पेमेंट का क्रेज इतना बढ़ गया है कि लोग कैश रखना भूल गए हैं. इंवेस्टमेंट करना हो या फिर शॉपिंग करनी हो. 5 रुपये की चॉकलेट खरीदनी हो या हजारों के गहने...लोग यूपीआई पेमेंट से धड़ल्ले से पेमेंट करते हैं. यूपीआई ने छुट्टे पैसे रखने की टेंशन खत्म कर पेमेंट के तरीके को आसान बना दिया है. UPI के बढ़ते क्रेज की सबसे बड़ी वजह है कि डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड की तुलना में इसका फ्री होना. बिना किसी शुल्क के लोग और मर्चेंट यानी कि दुकानदार यूपीआई का इस्तेमाल कर ररहे हैं, लेकिन अब इस पर भी फीस वसूलने की तैयारी शुरू हो गई है. 


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UPI पेमेंट पर फीस वसूलने की तैयारी में कंपनियां


फोनपे (PhonePe), गूगलपे (Google Pay) का यूपीआई सेक्टर में जलवा है. पेटीएम पर आरबीआई की सख्ती के बाद इनके यूजर्स की संख्या और बढ़ गई है. अब तक ये सर्विस निशुल्क है, लेकिन अब कंपनियां इसपर चार्ज लगाने की तैयारी कर रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया कि रिपोर्ट के मुताबिक फिनटेक कंपनियां रेवेन्यू को लेकर चिंतित है. कंपनियां यूपीआई पर चार्ज वसूलना चाहती है. कंपनियों का कहना है लॉगटर्म स्टेबिलिटी के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानी MDR के साथ क्रेडिट कार्ड जैसे सिस्टम की जरूरत महसूस हो रही है.  


फिनटेक कंपनियों की चिंता है कि जीरो एमडीआर उनके बिजनेस मॉडल को नुकसान पहुंचा रही है. कंपनियों ने NPCI के साथ इसे लेकर चर्चा भी की है.  हालांकि सरकार ने यूपीआई पर फीस वसूलने से इंकार किया है. आपको बता दें कि गूगलपे और फोनपे यूपीआई मार्केट की 80 फीसदी हिस्सेदारी रखती है. आरबीआई की सख्ती के बाद पेटीएम का यूपीआई ट्रांजैक्शन गिर गया है तो वहीं इसका फायदा गूगलपे, फोनपे जैसी कंपनियों को हुआ है.  


फीस लगाया तो 70 फीसदी बंद कर देंगे इस्तेमाल
हालांकि हाल ही एक सर्वे में यह बात सामने आई कि अगर यूपीआई पेमेंट पर फीस लगाया गया तो यूपीआई इस्तेमाल करने वाले 70 प्रतिशत लोग इसे छोड़ देंगे. सर्वे में इस बात का हल निकाला गया कि अगर यूपीआई पेमेंट पर किसी भी तरह की कोई फीस लगाई गई तो लोग उसका इस्तेमाल बंद कर देंगे.