Gautam Adani: रिश्वतखोरी में फंसे, अरेस्ट वारंट जारी, संपत्ति में भारी गिरावट; अब आगे क्या होगा?
Sagar Adani: भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने कहा, `अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस को अडानी और सात अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने और उन देशों में उनकी सेवा करने का अधिकार है, जहां वे रहते हैं.`
Gautam Adani Bribe Case: अमेरिका में भारतीय अरबपति कारोबारी गौतम अडानी और सात अन्य के खिलाफ करोड़ों डॉलर के रिश्वतखोरी का मामला दर्ज किया गया है. इस मामले के सामने आने के बाद अडानी को 21 नवंबर के कारोबारी सत्र में भारी नुकसान उठाना पड़ा. गुरुवार के कारोबारी सत्र के दौरान अडानी की कंपनियों के शेयर 23 प्रतिशत तक टूट गए. हालांकि उसके बाद शुक्रवार के ट्रेडिंग सेशन में बाजार को अडानी की कंपनियों के शेयर दोनों को ही हरे निशान के साथ कारोबार करते हुए देखा गया है. इस पूरे मामले पर अडानी ग्रुप की तरफ से जारी किये गए बयान में कहा गया कि सभी आरोप निराधार हैं.
मामला काफी आगे बढ़ सकता है!
अमेरिका की तरफ से दीवानी और आपराधिक आरोप दायर किये जाने के बाद एक प्रमुख अधिवक्ता ने कहा कि मामला काफी आगे बढ़ सकता है. इससे गिरफ्तारी वारंट और यहां तक कि प्रत्यर्पण (Extradition) की कोशिश भी हो सकती है. अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत के दूसरे सबसे अमीर शख्स अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी समेत सात अन्य पर महंगी सोलर एनर्जी खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है. इन प्रोजेक्ट से ग्रुप को 20 साल से ज्यादा समय में दो अरब डॉलर से ज्यादा का फायदा होने का अनुमान है.
अडानी ग्रुप ने कहा, लगाए गए आरोप पूरी तरह ‘निराधार’
हालांकि, अडानी ग्रुप ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोप ‘निराधार’ हैं और ग्रुप ‘सभी कानूनों का पालन करता है.’ भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने कहा, 'अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस को अडानी और सात अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने और उन देशों में उनकी सेवा करने का अधिकार है, जहां वे रहते हैं.' उन्होंने कहा, 'यदि उस देश के पास, जैसा कि भारत के पास है, प्रत्यर्पण संधि है, तो संप्रभु राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय अनुबंध के अनुसार, निवासी राष्ट्र को अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पित व्यक्ति को सौंपना चाहिए. एक प्रक्रिया है जिसका निवासी राष्ट्र को अपने कानूनों के अनुरूप पालन करना चाहिए.'
बत्रा ने कहा कि अंततः प्रत्यर्पण 'अत्यंत दुर्लभ परिस्थितियों के अभाव में' होता है, जैसा कि चिली के पूर्व राष्ट्रपति ऑगस्टो पिनोशे के मामले में हुआ था. ब्रिटेन ने उन्हें केवल मानवीय आधार पर प्रत्यर्पित नहीं किया. उन्होंने कहा, 'अडानी और सात अन्य लोगों से जुड़े इस मामले में पिनोशे की मिसाल लागू होते देखना मुश्किल है.' भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि पर 1997 में हस्ताक्षर किये गए थे. न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी पीस ने अडानी, उनके भतीजे सागर और इसके पूर्व सीईओ विनीत एस जैन के खिलाफ मामला दर्ज करने की घोषणा की है. (इनपुट भाषा)