Aadhaar Enabled Payment System: आज का दौर डिजिटल का दौर है. पॉकेट में कैश रखना भी पुराने जमाने की बात होती जा रही है. कैश ही क्या, डिजिटल पेमेंट इतनी तेजी से बढ़ रही हैं कि क्रेडिट और डेबिट जैसे 'मॉडर्न' पेमेंट विकल्प भी धीरे-धीरे गुजरे वक्त की तरह पुराने होते जा रहे हैं. डिजिटल पेमेंट्स में अब सरकार आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम या AePS को बढ़ावा दे रही है. सरकारी योजनाओं की सब्सिडी पाने वाले लाभार्थी इसे अकसर इस्तेमाल करते हैं.


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क्या है  AePS?


आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (AePS) एक बैंक आधारित मॉडल है, जिसमें आधार बेस्ड बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करके बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंस के जरिए खातों में ऑनलाइन फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन किए जाते हैं. इनमें डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के लाभार्थियों के खाते भी शामिल होते हैं.  


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इसमें बैंक ग्राहक अपने आधार से जुड़े बैंक अकाउंट पर बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंस के जरिए बेसिक बैंकिंग ट्रांजेक्शन जैसे कैश डिपॉजिट, कैश निकालना, इंट्राबैंक और इंटर बैंक कैश ट्रांसफर, बैलेंस इन्क्वॉयरी और मिनी स्टेटमेंट जैसी सुविधाएं हासिल कर सकते हैं. 


कौन से मुद्दे इस सिस्टम को कर रहे प्रभावित?


इस पेमेंट सिस्टम में लेनदेन फेल होने की शिकायतें आ रही हैं. इसके बाद सरकार ने ट्रांजेक्शन फेल की संख्या को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं.


फेल ट्रांजेक्शन को कैसे चेक करें?


नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NCPI) का 24*7 टेक्निकल सपोर्ट सिस्टम है, जिसमें नेटवर्क टीम भी शामिल है. ये  लोग लेनदेन फेल होने के वक्त बैंकों की सहायता और ऐसे मामलों पर नजर रखते हैं. अगर एक दिन में एक लाख रुपये से ज्यादा का लेनदेन होता है तो एनपीसीआई इस मुद्दे को बैंक प्रबंधनों के सामने उठाता है. 


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लेनदेन फेल को कम करने की दिशा में बैंकों की मदद करने के लिए सभी ऑनलाइन प्रोडक्ट्स के लिए टेक्निकल टास्कफोर्स बनाया गया है. इसके अलावा, AePS लेनदेन फेल होने से रोकने के लिए सरकार समय-समय पर समीक्षा भी करती है.


आरबीआई ने भी दिया दखल


आरबीआई ने कहा कि बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंस इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए उसने भारतीय बैंक संघ (आईबीए) को बिजनेस कॉरेस्पोंडेंस रजिस्ट्री पोर्टल बनाने के लिए रूपरेखा तय की है. अगर कोई फ्रॉड या अन्य चीज होती है तो बैंकों के पास पोर्टल पर बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंस को ब्लैकलिस्ट करने का ऑप्शन है. सभी स्टेकहोल्डर्स को इसकी जानकारी मुहैया कराई जाती है. ब्लॉक किए गए या ब्लैकलिस्ट किए गए सभी बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंस का ब्योरा एनपीसीआई शामिल करता है और बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंस इकोसिस्टम के फायदे के लिए सभी सदस्य बैंकों को समय-समय पर सर्कुलेट किया जाता है. 


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