Office Peacocking: कोरोना काल में जहां मूनलाइटिंग (Moonlighting) शब्‍द ने लोगों का ध्‍यान आकर्षित किया वहीं उसके बाद के कॉरपोरेट कल्‍चर में नया शब्‍द आया है ऑफिस पीकॉकिंग . मूनलाइटिंग में जहां शख्‍स वर्क फ्रॉम होम की स्थिति में एक साथ दूसरी नौकरी करता पाया जाता था वहीं ऑफिस पीकॉकिंग ठीक विपरीत है.  दरअसल कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के बाद घर से काम करना कर्मचारियों के लिए किफायती और आरामदायक बनने के बाद उनको कार्यालय तक लाना एक चुनौती बन गया था. लिहाजा कर्मचारियों को संस्थान में बनाए रखने और उन्हें कार्यालय में वापस लाने के लिए कई कंपनियां 'ऑफिस पीकॉकिंग' का सहारा ले रही हैं. उद्योग विशेषज्ञों ने यह बात कही है. यह अपने ऑफिसों को अधिक आकर्षक और आरामदायक बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक रणनीति है. 


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कोरोना काल और ऑफिस पीकॉकिंग
कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद कर्मचारियों को कार्यस्थल पर वापस लाने के लिए इसका इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. मानव संसाधन सेवा प्रदाता 'टीमलीज सर्विसेज'’के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (स्टाफिंग) कार्तिक नारायण ने कहा कि वैश्विक महामारी के बाद भारत में 'ऑफिस पीकॉकिंग' अवधारणा ने तेजी पकड़ी है. 


ऑफिस पीकॉकिंग में कार्यालयों में आकर्षक फर्नीचर, सजावट, कार्यस्थल पर आरामदायक स्थल, प्राकृतिक रोशनी तथा खानपान की अच्छी व्यवस्था आदि जैसे उपाय किए जाते हैं जिससे कामकाज के लिए आकर्षक तथा जीवंत माहौल बन सके.


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कर्मचारियों की व्यवस्था करने वाली कंपनी सीआईईएल के मानव संसाधन निदेशक एवं सीईओ आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि पिछले दो से तीन वर्षों में 'ऑफिस पीकॉकिंग' के चलन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसमें कार्यालय की साजसज्जा और डिजाइन के निवेश में अनुमानतः 25-30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.


मिश्रा ने कहा कि बेंगलुरु, मुंबई, दिल्ली- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और हैदराबाद जैसे प्रमुख महानगरों में इसका चलन सबसे अधिक है. इन शहरों में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां तथा स्टार्टअप इकाइयां हैं जो इस तरह के चलन को अपनाने में सबसे आगे हैं.


कार्यस्थल डिजाइन करने वाली कंपनी स्पेस मैट्रिक्स ग्लोबल की प्रबंध निदेशक तितिर डे ने कहा कि ‘ऑफिस पीकॉकिंग’ हाल ही में काफी प्रचलन में आया. कंपनियां वैश्विक महामारी के बाद कर्मचारियों को कार्यालय में वापस लाने के तरीके तलाश कर रही हैं, जिसमें प्रौद्योगिकी संवर्धन पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है.


उन्होंने कहा, 'कार्यात्‍मक तथा भावनात्मक दोनों आवश्यकताओं को पूरा करने वाले सहानुभूतिपूर्ण माहौल का निर्माण करके संगठन कार्यबल को अधिक उत्पादक बना सकते हैं.' 


(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)