नई दिल्ली: देश के दिग्गज कारोबारी, टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) का आज जन्मदिन है। भारत के उद्योग जगत के रत्न रतन टाटा आज 86 साल के हो गए। रतन टाटा ने न केवल टाटा समूह के कारोबार को ऊंचाईयों पर पहुंचा बल्कि भारत के उद्योग जगत को वैश्विक पहचान दिलाई। साल 1991 में जब रतन टाटा के हाथों में टाटा ग्रुप की कमान आई, उन्होंने कंपनी के कारोबार को ग्लोबल लेवल पर पहुंचा दिया। रतन टाटा की बदौलत आज टाटा की धमक देश-दुनिया में है। बेहद सादगी और सरल स्वभाव वाले रतन टाटा लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। रतन टाटा अपनी दरियादिली , शांत और सरल स्वभाव के चलते  सबके अजीज हैं।  


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बिना कुछ बोले कैसे लिया अपमान का बदला 


रतन टाटा से जुड़े कई किस्से-कहानियां है, जो आपको जीवन का सीख देती है। ऐसा ही एक किस्सा अमेरिकी कंपनी से जुड़ा है, जहां रतन टाटा ने सीखा दिया कि कैसे बिना कुछ बोले अपमान का बदला लिया जा सकता है। 90 के दशक में रतन टाटा कंपनी का विस्तार कर रहे थे। उनके नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने टाटा इंडिका (Tata Indica) कार लॉन्च की।  कार तो बन गई, लेकिन उस वक्त देश में कारों की सेल कुछ खास नहीं थी। जैसा रतन टाटा ने सोचा था, इंडिका कार को लेकर लोगों का रिस्पांस वैसा नहीं था। कंपनी पर घाटे का दवाब बढ़ने लगा तो रतन टाटा ने पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने का फैसला किया।  


अपमान का घूंट पीकर रह गए थे टाटा  


रतन टाटा ने अपनी पैंजेकर कार डिवीजन को बेचने के लिए अमेरिकी कार मैन्चुफैक्चरिंग कंपनी फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) से बात शुरू की। इस डील के लिए रतन टाटा अमेरिका में फोर्ड के मुख्यालय पहुंचें। उस वक्त फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड थे। मुलाकात के दौरान बिल फोर्ड ने रतन टाटा का खूब मजाक उड़ाया। उन्होंने रतन टाटा का अपमान करते हुए कहा कि जब वो कार के बारे में कुछ जानते ही नहीं तो कार बनाया ही क्यों? उन्होंने टाटा को भला-बुरा सुनाया और कहा कि अगर वो टाटा के उस कारोबार को खरीदते हैं तो ये उनपर बड़ा एहसान होगा।  रतन टाटा अपमान के इस घूंट को चुपचाप पीकर रह गए और बिना कुछ रिएक्ट किए भारत लौट आए।  


10 साल बाद लिया बदला  


अमेरिका से लौटकर रतन टाटा ने अपने पैसेंजर कार बिजनेस को बेचने का फैसला टाल दिया। उन्होंने अपने ऑटोमोबाइल सेक्टर को बड़ा करने का लक्ष्य तय कर लिया। बिना थके, बिना रुके रतन टाटा काम करते रहे और 10 सालों में उन्होंने टाटा मोटर्स को ऑटोसेक्टर में बादशाह बना दिया। टाटा मोटर्स बुलंदियों की नई ऊंचाईयों को छू रहा था, वहीं फोर्ड की हालत खराब हो रही थी। 10 साल बाद फोर्ड मोटर्स दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया। कंपनी बिक रही थी। रतन टाटा ने फोर्ड के Jaguar और Land Rover ब्रांड को खरीज लिया। इस डील के दौरान जब दोबारा से रतन टाटा और बिल फोर्ड मिले तो सीन बदल चुका था। जिस शख्स ने रतन टाटा का अपमान किया था, वो आज उन्हें थैंक्यू बोल रहा था। उनसे रतन टाटा से कहा कि आपने जैगुआर और लैंड रोवर खरीदकर हमपर एहसान किया है।