White Paper: करोड़ों के 15 घोटाले और बेहाल इकोनॉमी... ऐसे थे UPA सरकार के 10 साल, श्वेत पत्र की बड़ी बातें
White Paper News: NDA सरकार की तरफ से वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने श्वेत पत्र जारी किया है. इसमें यूपीए सरकार (UPA Government) में हुए घोटालों से लेकर कांग्रेस सरकार के 10 साल में हुए भ्रष्टाचार का भी जिक्र किया है.
White Paper in Parliament: केंद्र सरकार की तरफ से आज लोकसभा में श्वेत पत्र (White Paper) जारी किया गया है. NDA सरकार की तरफ से वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने श्वेत पत्र जारी किया है. इसमें यूपीए सरकार (UPA Government) में हुए घोटालों से लेकर कांग्रेस सरकार के 10 साल में हुए भ्रष्टाचार का भी जिक्र किया है. पीएम मोदी (PM Modi) ने संसद में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. इसके अलावा मनमोहन सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन की भी चर्चा की गई है. फिलहाइल इस श्वेत पत्र के विरोध में कांग्रेस सरकार ब्लैक पेपर लाने की बात कर चुकी है.
आइए आपको बताते हैं कि श्वेत पत्र में किन बातों का जिक्र किया गया है.
सरकार क्यों लाई है श्वेत पत्र?
आपको सबसे पहले हम यह बताते हैं कि मोदी सरकार श्वेत पत्र क्यों लेकर आई है. इस लैटर के जरिए NDA सरकार ने बताया है कि साल 2014 से पहले देश की क्या स्थिति थी और देश किस तरह के आर्थिक संकट का सामना कर रहा था. इसके अलावा मोदी सरकार आने के बाद देश में क्या-क्या बदला है और किस तरह का विकास हुआ है. इसके अलावा सरकार ने देश में किस तरह से आर्थिक सुधार किए हैं.
>> श्वेत पत्र में मोदी सरकार ने कांग्रेस के शासन काल में हुए 15 घोटालों का जिक्र किया है. कांग्रेस के शासन काल में 2G स्कैम, कोयला घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, शारदा चिट फंड, INX मीडिया केस समेत कुल 15 घोटाले हुए हैं. इसमें 2जी स्पेक्ट्रम स्कैम - 1.76 लाख करोड़ और Coal Gate Scam - 1.86 लाख करोड़ का था.
>> आरबीआई के मुताबिक सरकार के नेट मार्केट बॉरोइंग प्रोग्राम का आकार आठ सालों में लगभग 9.7 गुना बढ़कर साल 2012-13 में 4.9 ट्रिलियन हो गया. इसके अलावा, सरकार ने 1.16 ट्रिलियन की अतिरिक्त फंडिंग का सहारा लिया.
>> यूपीए के शासन काल में रुपये में भारी गिरावट देखने को मिली थी. इसके अलावा बैंकिंग सेक्टर पर भी संकट छाया हुआ था.
>> साल 2004 में यूपीए को एक दुरुस्त स्वस्थ अर्थव्यवस्था मिली थी, जिसको सुधारों के लिए सिर्फ तैयार करना था. लेकिन यूपीए ने अपने 10 साल के कार्यकाल में इसको और भी ज्यादा नॉन-परफॉर्मिंग बना दिया.
>> यूपीए सरकार में साल 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल संकट के बाद अर्थव्यवस्था काफी बुरी तरह प्रभावित हुई.
>> बैंकिंग संकट कांग्रेस के शासन काल में एक बड़ी समस्या बन गया था. जब वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता में आई थी तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में GNPA का रेश्यो 16.0 प्रतिशत था और जब उन्होंने कार्यालय छोड़ा, तो यह 7.8 प्रतिशत था. सितंबर 2013 में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के रिस्ट्रक्चर लोन का अनुपात बढ़कर 12.3 प्रतिशत हो गया था.
>> बेलगाम राजकोषीय घाटे ने देश की अर्थव्यवस्था को एक आर्थिक संकट की तरफ बढ़ा दिया था. अपने राजकोषीय कुप्रंधन की वजह से UPA सरकार का राजकोषीय घाटा बहुत ज्यादा बढ़ गया था. साल 2011-12 में अपने बजट की तुलना में बाजार से 27 प्रतिशत अधिक उधार लेने लगी.
>> अर्थव्यवस्था के लिए राजकोषीय घाटे का बोझ सहन करना बहुत मुश्किल हो गया था. वित्तीय वर्ष 2005 से 2014 में नीतिगत विफलताओं के परिणामस्वरूप सरकार की उधारी में भी काफी इजाफा हुआ था.
>> 2012-13 में, ग्रॉस वैल्यु एडेड (GVA) में ग्रोथ धीमी गति से 5.4 प्रतिशत रही, जिसमें औद्योगिक क्षेत्र की धीमी गति से 3.3 प्रतिशत रही. कमजोर एग्रीकल्चर ग्रोथ की 1.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई.