Red Sea Attack:  लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमले ने वैश्विक कारोबार को प्रभावित करना शुरू कर दिया है. लाल सागर में हूती व्यावसायिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं. खास कर उन जहाजों को निशाना बनाया जा रहा है, जो इजरायल से किसी भी तरह से जुड़े हैं. हाल ही में हूतियों ने भारत आ रहे एक जहाज पर हमला किया. इस हमले के बाद भारत ने सख्ती दिखाई है. हूतियों के हमले से न केवल भारत बल्कि वैश्विक इकॉनमी पर असर पड़ने लगा है. आयात-निर्यात में आ रही मुश्किल से वैश्विक महंगाई का खतरा मंडरा रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं रह पाएगा. अगर ये हमले जारी रहे तो आने वाले दिनों में आपकी रसोई का बजट बढ़ सकता है. 


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लाल सागर के हमले ने भारत पर असर  


लाल सागर में हूतियों के हमले से भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है. हूतियों के आक्रमक रवैये को देखते हुए शिपिंग कंपनियां लाल सागर से होकर गुजरने से घबरा रही हैं. ऐसे में उन्हें दूसरे रूट से अपना माल भेजना पड़ रहा है, जिसके चलते शिपिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी हो गई है. भारतीय निर्यातकों को अब निर्यात लागत बढ़ने की चिंता सताने लगी है. जाहिर सी बात है कि नियार्त की लागत बढ़ने से कंपनियों पर दवाब बढ़ेगा. वहीं सप्लाई में बाधा पहुंचने से महंगाई बढ़ेगी. 


लाल सागर का रास्ता क्यों है जरूरी


भारत के लिए लाल सागर जरूरी है. केवल भारत नहीं बल्कि ग्लोबल इकॉनमी के लिए यह मार्ग बेहद महत्वपूर्ण है. लाल सागर आगे जाकर स्वेज नहर में मिलता है, जो यूरोप और एशिया को जोड़ने का काम करता है. वैश्विक व्यापार के लिए यह मार्ग बेहद जरूरी है. अगर लाल सागर का मार्ग बंद होता है तो शिपिंग कंपनियों को यूरोप-एशिया के बीच कारोबार के लिए लंबा रास्ता लेना पड़ता है. जिसके चलते शिपिंग कंपनियों की लागत 30 से 40 फीसदी तक बढ़ेगी और शिपिंग में लगने वाला वक्त भी 10 से 15 दिन और बढ़ जाएगा. आयात-निर्यात में दिक्कत बढ़ने से वैश्विक स्तर पर मंहगाई बढ़ेगा. अगर भारत की बात करें तो लाल सागर के रास्ते से भारत यूरोप समेत अन्य कई देशों के साथ आयात-नियार्त करता है. लाल सागर पर हूतियों के हमले से अगर शिपिंग कंपनियों की लागत बढ़ी तो निर्यात में कमी हो सकती है, जो देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है. लाल सागर में हमलों के बाद से निर्यात प्रभावित होने लगा है, लाल सागर में बढ़े तनाव के चलते बासमती चावल का निर्यात प्रभावित हो गया है, जिसका असर है कि घरेलू बाजार में बासमती चावल की कीमत कम हो गई है. साल 2021 तक भारत इस रास्ते से करीब 200 अरब डॉलर का कारोबार करता था, कोरोना के बाद इसमें और बढ़ोतरी हुई. फूड प्रोडक्ट्स, अपैरल, इलेक्ट्रॉनिक सामान इस रास्ते से एक्सपोर्ट करता है. 


देश में महंगाई  


लाल सागर से सिर्फ निर्यात नहीं बल्कि आयात भी प्रभावित हो रहा है. लाल सागर से होने वाले आयात भी प्रभावित हो रहे हैं. भारत में सूरजमुखी खाद्य तेल का आयात लाल सागर से ही होता है. बीते कुछ वक्त से जिस तरह से लाल लागर में तनाव बढ़ा है, खाद्य तेलों के आयात में बाधा आ रही है और माना जा रहा है कि सप्लाई बाधित होने से इसके दाम में बढ़ोतरी हो सकती है. आपको बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 60 प्रतिशत से अधिक सूरजमुखी तेल आयात करता है.  


खाने से लेकर कार चलाना तक महंगा  


सिर्फ खाने-पीने की चीजें ही नहीं बल्कि कार चलाना भी महंगा हो सकता है. लाल सागर में हूती विद्रोहियों के खुराफात के चलते क्रूड ऑयल के दाम में फिर से बढ़ोतरी हो सकती है. कच्चे तेल के लिए भारत आयात पर निर्भर है, अगर स्वेज नहर का तनाव जारी रहा तो मुश्किल पैदा हो सकती है. पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने का मतलब है देश में महंगाई. रूस से आने वाला तेल स्वेज नहर के रास्ते ही भारत पहुंचता है. अगर संघर्ष और बढ़ा तो कच्चे तेल की कीमत में और बढ़ोतरी होगी.