World Bank Forecast: दुनियाभर में मंदी तेजी से बढ़ रही है. इस बीच विश्व बैंक (World Bank) ने भारत की रफ्तार की दर को घटा दिया है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आर्थिक विकास दर अगले वित्त वर्ष (2023-24) में घटकर 6.6 फीसदी पर रह सकती है. वहीं, चालू वित्त वर्ष में यह 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है. 


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2024-25 में 6.1 फीसदी रहने का अनुमान
World Bank ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपने ताजा अनुमान में कहा है कि भारत सबसे बड़े उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDI) में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा. वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक वृद्धि दर 8.7 फीसदी थी. वित्त वर्ष 2024-25 में वृद्धि दर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान है.


निर्यात और निवेश पर होगा असर
बयान में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ती अनिश्चितता का निर्यात और निवेश वृद्धि पर असर पड़ेगा. सरकार ने बुनियादी ढांचे पर खर्च और कारोबार के लिए सुविधाओं पर खर्च बढ़ाया है. हालांकि, यह इससे निजी निवेश जुटाने में मदद मिलेगी और विनिर्माण क्षमता के विस्तार को समर्थन मिलेगा.


कितनी रहेगी जीडीपी दर?
विश्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 में वृद्धि दर धीमी होकर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है. इसके बाद यह घटकर छह फीसदी से कुछ ऊपर रह सकती है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में सालाना आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 9.7 फीसदी रही है. इससे निजी खपत और निवेश में वृद्धि का संकेत मिलता है.


मुद्रास्फीति संतोषजनक स्तर से रही ऊपर
पिछले साल ज्यादातर समय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के छह फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर रही. इसके चलते केंद्रीय बैंक ने मई से दिसंबर के बीच प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 2.25 फीसदी की वृद्धि की है.


व्यापार घाटा बढ़ा
साल 2019 के बाद भारत का वस्तुओं का व्यापार घाटा दोगुना से अधिक हो गया है और यह नवंबर में 24 अरब डॉलर था. कच्चे पेट्रोलियम एवं पेट्रोलियम उत्पादों (7.6 अरब डॉलर) और अन्य वस्तुओं मसलन अयस्क और खनिज मामले में इसके 4.2 अरब डॉलर रहने के कारण व्यापार घाटा बढ़ा है.


भाषा - एजेंसी


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