Career Counseling: बोर्ड परीक्षाएं नजदीक आते ही छात्रों पर पढ़ाई और करियर को लेकर दबाव बढ़ने लगता है. अक्सर छात्र यह सोचकर परेशान हो जाते हैं कि 10वीं या 12वीं के बाद उन्हें कौन सा विषय या करियर विकल्प चुनना चाहिए. यह सवाल उनकी तैयारी में रुकावट पैदा कर सकता है. ऐसे में काउंसलर से मदद लेना न केवल उनकी दुविधा को दूर करेगा, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगा.


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करियर के सवाल बाद में हल होंगे
हालांकि, बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने जा रहे स्टूडेंट्स को पहले तो अपनी बोर्ड परीक्षाओं पर फोकस करना जरूरी है, वरना इसका आपके रिजल्ट पर गलत असर पड़ेगा, क्योंकि करियर को लेकर मन में आने वाले सवाल और डाउट्स के हल तो बाद में भी मिल जाएंगे, लेकिन रिजल्ट बिगड़ा तो आपके सामने चुनने के लिए विकल्प कम हो जाएंगे.


करियर काउंसलिंग: सही राह चुनने का पहला कदम
करियर काउंसलिंग स्टूडेंट्स के लिए सही विषय और करियर विकल्प चुनने की प्रक्रिया को आसाना करती है. काउंसलर न केवल छात्रों की रुचियों और क्षमताओं का आकलन करते हैं, बल्कि अभिभावकों को भी शामिल करते हैं. इससे स्टूडेंट्स को सही दिशा में आगे बढ़ने का मार्गदर्शन मिलता है और करियर के लिए मजबूत आधार तैयार होता है.


काउंसलर कैसे करते हैं मदद?
1. प्रोफाइल का गहन मूल्यांकन:

काउंसलर छात्रों के बोर्ड परीक्षा के विषयों और उनके प्रदर्शन का गहराई से आकलन करते हैं. इसके आधार पर वे स्टूडेंट्स की दिलचस्पी और कैपेबिलिटीज को पहचानकर सही सलाह देते हैं.


2. रुचि और क्षमताओं के अनुसार सलाह:
काउंसलर यह समझने में माहिर होते हैं कि स्टूडेंट्स साइंस, कॉमर्स या आर्ट्स में से किस फील्ड में बेहतर करियर बना सकते हैं. इसके अलावा वे छात्रों को स्किल-आधारित कोर्स जैसे फैशन डिजाइनिंग, फोटोग्राफी, होटल मैनेजमेंट आदि विकल्प के बारे में भी बेहतर तरीके से बताते हैं.


3. साइंटिफिक तरीके अपनाना:
काउंसलर एप्टीट्यूड टेस्ट, इंटरेस्ट इन्वेंटरी और पर्सनैलिटी टेस्ट जैसे साइंटिफिक तरीके अपनाते हैं. इससे स्टूडेंट्स की मेंटल एबिलिटिज, रुचियों और व्यक्तित्व का गहराई से आकलन किया जाता है.


भविष्य के लिए सही योजना बनाएं
काउंसलिंग स्टूडेंट्स को स्ट्रीम से जुड़े करियर विकल्प, हायर एजुकेशन के संभावित कोर्स और भविष्य में बढ़ती रोजगार मांगों की जानकारी देती है. इसके साथ ही काउंसलर बच्चों के पेरेंट्स को यह समझाने में मदद करते हैं कि उन पर दबाव डालने के बजाय उनकी रुचियों और क्षमताओं का सम्मान करें.


जरूरी स्किल का विकास करें
काउंसलर केवल करियर विकल्प ही नहीं सुझाते, बल्कि स्टूडेंट्स को कम्युनिकेशन स्किल्स, टीम वर्क और टेक्निकल स्किल्स जैसे डेटा एनालिसिस या प्रोग्रामिंग की ट्रेनिंग लेने की भी सलाह देते हैं. ये स्किल्स स्टूडेंट्स को उनके करियर में आगे बढ़ने में मदद करते हैं.


मदद लेने में झिझकें नहीं
करियर काउंसलिंग स्टूडेंट्स के लिए एक सुनहरा अवसर है. यह न केवल उन्हें अपने सवालों का समाधान देती है, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी मजबूत बनाती है. बोर्ड परीक्षाओं के दौरान काउंसलर से संपर्क करना आपकी तैयारी को मजबूत करने का एक सही तरीका हो सकता है.