IAS G Krishnaiah Death: आज हम आपको एक ऐसे आईएएस ऑफिसर के बारे में बताएंगे, जो आज इस दुनिया में तो नहीं है, लेकिन वह यूपीएससी उम्मीदवारों और खास कर मिडिल क्लास फैमिली से आने वाले छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं बिहार के गोपालगंज जिले के जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया की, जिनकी साल 1994 में बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को आईएएस जी कृष्णैया की हत्या करने वाली भीड़ का नेतृत्व करने के लिए दोषी ठहराया गया था. 35 वर्षीय जी कृष्णैया की दुखद मौत के बावजूद, उनकी कहानी आज भी कायम है.


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कुली के रूप में भी किया काम
तेलंगाना के महबूबनगर में एक भूमिहीन दलित परिवार में जन्मे कृष्णैया ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए एक कुली के रूप में अपना जीवन शुरू किया. हालांकि, यह उनके सफर की शुरुआत भर थी. उन्होंने कुछ समय के लिए जर्नलिज्म में कदम रखा, एक लेक्चरर के रूप में काम किया और यहां तक कि एक क्लर्क की नौकरी भी की.


IAS बन लोगों के बिच हुए फेमस
उनकी इस दृढ़ता का फल उन्हें तब मिला, जब वे 1985 में प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हुए. बिहार में जब कृष्णैया की पोस्टिंग हुई, तो वे अपने काम से गरीबों के बीच एक लेकप्रिय व्यक्ति बन गए. उन्होंने रोजाना उनसे मिलना और उनकी चिंताओं को दूर करना अपना लक्ष्य बना लिया.


डकैतों के इलाके में हुई पहली पोस्टिंग
उनकी पहली पोस्टिंग बिहार के वेस्ट चंपारण में हुई, जो डकैतों और अपहरणकर्ताओं के लिए कुख्यात क्षेत्र था. शक्तिशाली जमींदारों के प्रतिरोध के बावजूद, कृष्णैया ने लैंड रिफॉर्म में अपने महत्वपूर्ण प्रयासों के लिए सहकर्मियों से प्रशंसा भी अर्जित की. 


हिंसक भीड़ ने गोली मारकर की हत्या
1994 में, उन्हें गोपालगंज का जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया, जहां उनका जीवन दुखद रूप से समाप्त हो गया. छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के जुलूस के दौरान, आनंद मोहन के नेतृत्व में हजारों की हिंसक भीड़ ने कृष्णैया की कार पर हमला कर दिया. दरअसल, उस समय वह एक स्पेशल मीटिंग से लौट रहे थे. भीड़ ने उन्हें बाहर खींच लिया और बुरी तरह पीटा. इसके बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. कृष्णैया की हत्या में अहम भूमिका के लिए आनंद मोहन को दोषी ठहराया गया था.