IPS Gaurav Tripathi Success Story: भारत में हर साल लाखों उम्मीदवार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन उनमें से केवल एक हजार के आस-पास उम्मीदवार ही इस परीक्षा को पास कर आईएएस, आईपीएस व आईएफएस ऑफिसर समेत कई अन्य प्रतिष्ठित पद हासिल कर पाते हैं. आईपीएस गौरव त्रिपाठी उन लाखों युवाओं में से ही एक हैं, जो बेहद ही सामान्य परिवार से आते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी कर्मठता से खुद को लाखों युवाओं से अलग खड़ा किया है.


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आईपीएस गौरव त्रिपाठी को यूपीएससी परीक्षा के बारे में पता ही नहीं था. उन्होंने प्रेस में इसके बारे में पढ़ा, जिसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के बारे में सोचना शुरू कर दिया. परीक्षा की तैयारी करते हुए उन्होंने तीन बार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा दी, और अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा 2022 में 226वीं रैंक प्राप्त की और आईपीएस ऑफिसर बन गए. आज उनकी कहानी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे सभी उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा का काम करती है.


उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के रहने वाले आईपीएस अधिकारी गौरव त्रिपाठी को इस स्तर तक पहुंचने के लिए कई वर्षों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी. उन्होंने सैकड़ों बाधाओं को पार करने के लिए काफी संघर्ष किया, कड़ी मेहनत की और कई बलिदान दिए. हालांकि, हर कदम पर उनके माता-पिता ने उन्हें सफल होने के लिए प्रोत्साहित किया. बता दें आईपीएस गौरव के पिता एक जनरल स्टोर चलाते थे.


गोरखपुर वह जगह है, जहां आईपीएस गौरव त्रिपाठी ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा पूरी की. इसके बाद, उन्होंने आईआईटी की परीक्षा पास की और उन्हें आईआईटी रूड़की में एडमिशन मिल गया. यहां उन्होंने बी.टेक की डिग्री हासिल की. बी.टेक की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा के लिए पढ़ाई शुरू कर दी. तैयारी के लिए एनसीईआरटी (NCERT) की किताबें इकट्ठा करना शुरू किया और एक संपूर्ण यूपीएससी की तैयारी का शेड्यूल बनाया.


दो बार इंटरव्यू राउंड तक पहुंच कर असफल होने के बावजूद गौरव कमजोर नहीं पड़े. दरअसल, उन्होंने लगातार मेंस परीक्षा दी, जनरल स्टडीज में असाधारण प्रदर्शन किया, लेकिन अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट भूगोल में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.


हिंदी मीडियम में उपलब्ध संसाधनों की कमी के बावजूद, उन्होंने साल 2021 में समय निकाला और ऑल इंडिया 226वीं रैंक हासिल करने से पहले अपने तीसरे प्रयास में ऑप्शनल सब्जेक्ट में बदलाव किया. उन्होंने शैक्षणिक कठोरता के अलावा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को बनाए रखने के महत्व पर जोर डाला.