IAS Alankrita Pandey: यूपीएससी परीक्षा पास करने का सफर बहुत ही कठिन है. इसमें कई चुनौतियां होती हैं जो आपकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प दोनों को परखती हैं. सिविल सेवक बनने की चाहत रखने वाले बहुत से लोगों में से कुछ ही उम्मीदवार व्यक्तिगत और शैक्षणिक बाधाओं को पार करके टॉप पर पहुंच पाते हैं. ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है आईएएस अधिकारी अलंकृता पांडे की, जिनकी सफलता का मार्ग धैर्य और दृढ़ता का प्रमाण है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

डिप्रेशन के कारण छोड़नी पड़ी प्रीलिम्स परीक्षा 
उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली अलंकृता की यात्रा 2014 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने के निर्णय के साथ शुरू हुई. हालांकि, किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही योजनाएं बना रखी थीं. उस साल उनका सामना एक ऐसे व्यक्तिगत संकट से हुआ जिसने उन्हें डिप्रेशन से जूझने पर मजबूर कर दिया. इस कठिन समय के दौरान, उन्होंने थेरेपी, एंगर मैनेजमेंट सेशन और दोस्तों व परिवार के अटूट समर्थन पर भरोसा किया. इसका असर इतना गहरा था कि उन्हें 2014 की प्रीलिम्स परीक्षा भी छोड़नी पड़ी.


अगले साल 85वीं रैंक के साथ बनीं IAS
हालांकि, अलंकृता ने अपने संघर्षों को अपने भविष्य को परिभाषित करने नहीं दिया. अपना ध्यान फिर से केंद्रित करने के लिए उन्होंने अपने करियर के लिए प्रतिबद्धता जताई और नए सिरे से परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. साल 2015 में उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई. अलंकृता ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली, और ऑल इंडिया 85वीं रैंक हासिल की. ​​उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें साल 2016 के आईएएस बैच में प्रवेश दिलाया. इसके बाद उन्हें शुरू में पश्चिम बंगाल कैडर में नियुक्त किया गया. बाद में, साथी आईएएस अधिकारी अंशुल अग्रवाल से शादी करने के बाद, वह बिहार कैडर में ट्रांसफर हो गईं.


रोजाना इतने घंटे पढ़कर हासिल की सफलता
अलंकृता ने MNNIT इलाहाबाद से इंजीनियरिंग की डिग्री की है और यूपीएससी की तैयारी में उतरने से पहले उन्होंने बेंगलुरु में एक आईटी कंपनी में काम भी किया था. अपनी तैयारी के दौरान वह रोजाना आठ घंटे पढ़ाई किया करती थीं.