IAS Smita Sabharwal MarkSheet: IAS सृष्टि देशमुख के बाद अब स्मिता सभरवाल की मार्कशीट वायरल, इस सब्जेक्ट में आए सबसे ज्यादा नंबर
IAS Smita Sabharwal: सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता तब और मजबूत हुई जब वह तेलंगाना में मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी बनीं.
UPSC पास करके IAS बनने वाले कैंडिडेट्स के फॉलोअर भी अच्छी खासी संख्या में हो जाते हैं, क्योंकि ऐसे लोगों से नई नई चीजें सीखने को मिलती है और मोटिवेशन भी मिलता है. आज हम आपको आईएएस अफसर स्मित सभरवाल के बारे में बताने जा रहे हैं, उनकी सोशल मीडिया में मार्कशीट वायरल हो रही है. इस मार्कशीट को खुद स्मिता सभरवाल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर शेयर किया है. आपको बता दें कि इससे पहले आईएएस अफसर सृष्टि देशमुख की मार्कशीट भी सोशल मीडिया में वायरल हुई थी.
स्मिता सभरवाल की पढ़ाई की जर्नी अच्छी रही है. वे पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में बंगाली परिवार में पैदा हुईं. उनके पिता कर्नल प्रणब दास और मां पुष्पा दास ने उनका पालन-पोषण किया. उनकी शुरुआती पढ़ाई हैदराबाद में हुई, जहां उन्होंने सेकंदराबाद के सेंट एन स्कूल में पढ़ाई की. उनकी कामयाबी की नींव बचपन से ही पक्की हो गई थी. 12वीं में उनके बहुत अच्छे नंबर आए थे, जिससे उनकी चर्चा हुई. स्मिता ने 1995 की सीआईएससीई इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट परीक्षा में अंग्रेजी और हिंदी दोनों में 100 में से 94 नंबर हासिल किए और इकोनॉमिक्स में 100 में से 90 नंबर हासिल किए.
सिविल सेवा की पहली परीक्षा में असफल होने के बावजूद, स्मिता ने हार नहीं मानी. दूसरे अटेंप्ट में उन्होंने न सिर्फ यूपीएससी की परीक्षा पास की बल्कि पूरे देश में चौथी रैंक हासिल की. इतनी कम उम्र, सिर्फ 22 साल में, यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी और वे भारत की सबसे कम उम्र की आईएएस अधिकारियों में से एक बन गईं.
स्मिता सभरवाल की नौकरी में उनकी जनता की सेवा के प्रति समर्पण और प्रशासन चलाने के नए तरीकों की वजह से उनकी पहचान बनी है. उन्हें "जनता की अफसर" के नाम से जाना जाता है क्योंकि वे लोगों की समस्याओं को खुद देखती हैं और लोगों को शासन चलाने में शामिल करती हैं.
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स्मिता सभरवाल का करियर सार्वजनिक सेवा के प्रति उनके समर्पण और शासन के प्रति उनके अप्रोच से प्रतिष्ठित है. नागरिक मुद्दों को संबोधित करने और प्रशासन में समुदाय को एक्टिव रूप से शामिल करने में उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए उन्हें व्यापक रूप से "जनता की अफसर" के रूप में पहचाना जाता है. सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता तब और मजबूत हुई जब वह तेलंगाना में मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी बनीं.