कोर्स के बीच में IIM अहमदाबाद ने डॉक्यूमेंट के कारण एडमिशन किया कैंसिल, अब कोर्ट ने नोटिस भेजकर संस्थान से मांगा जवाब
IIM Ahmedabad: छात्र ने आईआईटी मद्रास से 5 साल का बीटेक प्लस एमटेक इंटीग्रेटेड कोर्स 2021 में पूरा किया था. संस्थान से समय पर दस्तावेज नहीं मिले, जिसके कारण आईआईएमए ने सितंबर 2023 में 3/4 कोर्स होने के बाद उसका एडमिशन रद्द कर दिया.
Gujarat High Court Decision In IIM Student Favor: हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के छात्र अतुल कुमार का मामला चर्चा में था, क्योंकि वह लास्ट डेट तक एडमिशन के लिए जरूरी फीस जमा नहीं कर पाए थे. इसके बाद अतुल ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. पहले अपने फरियाद लेकर हाईकोर्ट पहुंचे अतुल को निराशा मिली, लेकिन उसने हार नहीं मानी और सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई.
सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी धनबाद में फीस जमा न करने के कारण सीट गंवाने वाले अतुल को संस्थान से उसे बीटेक में एडमिशन देने का आदेश दिया था. अब ऐसा ही एक मामला फिर सामने आया है, जहां गुजरात उच्च न्यायालय ने एक छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को आईआईएम अहमदाबाद को नोटिस जारी किया. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला....
कोर्ट ने भेजा दोनों संस्थानों को नोटिस
जानकारी के मुताबिक छात्र ने भारतीय प्रबंधन संस्थान द्वारा 3/4 कोर्स पूरा करने के बाद तकनीकी आधार पर 2 वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन रद्द करने के फैसले को चुनौती दी है. इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी. माई ने आईआईएम अहमदाबाद और आईआईटी मद्रास को नोटिस जारी कर 21 अक्टूबर तक जवाब मांगा है.
जानिए क्या है मामला
पिटीशनर आर विग्नेश ने याचिका में दावा किया है कि प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक देरी के कारण आईआईटी मद्रास से समय पर टाइटल सर्टिफिकेट और मार्कशीट नहीं मिले, जिसके कारण आईआईएमए ने सितंबर 2023 में कोर्स का तीसरी तिमाही समाप्त होने के बाद उसका एडमिशन कैंसिल कर दिया.
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने आईआईटी मद्रास में पांच साल के बीटेक प्लस एमटेक इंटीग्रेटेड कोर्स में 2016 में एडमिशन लिया और जून 2021 में इसे पूरा किया. उसने अदालत को बताया कि इसके बाद उसे कॉमन एडमिशन टेस्ट में 98.66 पर्सेंटाइल हासिल करने के बाद मई 2022 में आईआईएम अहमदाबाद में प्रवेश मिला था. अब इस मामले में आगे क्या होना है तो 21 अक्टूबर को ही पता चलेगा.
अतुल के पक्ष में आया SC का फैसला
वहीं, बात करें दलित युवक अतुल कुमार के केस की तो आर्थिक दिक्कतों के कारण 24 जून तक फीस के रूप में 17,500 रुपये अदा नहीं कर पाने पर अतुल का एडमिशन नहीं हो पाया था. हालांकि, रकम का इंतजाम तो किसी तरह हो गया था, लेकिन आखिरी समय पर कॉलेज की वेबसाइट ऑटोमेटेकली लॉग आउट हो गई, तो फीस जमा नहीं हो पाई थी. इसके बाद कड़ी मेहनत से हासिल सीट को बचाने के लिए अतुल के माता-पिता ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड कानूनी सेवा प्राधिकरण और मद्रास हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां न्याय न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट गए. सुप्रीम कोर्ट का फैसला अतुलके पक्ष में आया. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा, "हम ऐसे प्रतिभाशाली युवक को अवसर से वंचित नहीं कर सकते. उसे मझधार में नहीं छोड़ा जा सकता है."
सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत अपनी पावर का इस्तेमाल करते हुए आईआईटी धनबाद को अतुल कुमार को इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग बीटेक में प्रवेश देने का आदेश दिया. आर्टिकल 142 सुप्रीम कोर्ट को न्याय के हित में कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार देता है.
(इनपुट - भाषा)