बिना अनुवाद हम कैसे विदेशियों के विचारों-संस्कृतियों को समझ पाते? जानिए क्यों 30 सितंबर को ही मनाते हैं इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे
International Translation Day: हर साल आज ही के दिन इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे सेलिब्रेट किया जाता है. आइए जानते हैं कि इस दिन को मनाने के पीछे का मकसद क्या है और क्यों इसके लिए 30 सितंबर की तारीख को चुना गया...
Why Celebrate International Translation Day: किसी शख्स की पहचान करना हो या फिर कम्युनिकेशन करना हो, सोशल इंट्रीग्रेशन, एजुकेशन और डेवलपमेंट की बात हो, इन सबके लिए ही भाषा की जरूरत होती है. चाहे लैंग्वेज अलग ही क्यों न हो, लेकिन हम दूसरे से जुड़े रहने के लिए किसी तरह से भी कम्युनिकेशन होना जरूरी होता है. ऐसे में आज के दौर में लोगों के लिए भाषाएं जितनी जरूरी होती हैं, उतना ही महत्वपूर्ण होता उसका ट्रांसलेशन भी होता है.
अगर अनुवाद नहीं होता, तो हम अलग-अलग देशों के लोगों के विचारों और संस्कृतियों को समझ ही नहीं पाते. आज, पूरी दुनिया में इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस क्यों मनाया जाता है और क्यों इसके लिए 30 सिंतबर की तारीख ही चुनी गई.
इस तारीख को चुनने की वजह
30 सितंबर ये तारीख लैंग्वेज और ट्रांसलेशन के लिए बेहद ही इंपोर्टेंट है. दुनिया भर में हर साल 30 सितंबर को इंटरनेशनल ट्रांसलेशन सेलिब्रेट किया जाता है. इस तारीख को चुनने के पीछे की वजह है सेंट जेरोम, जिन्हें ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथ बाइबिल के ट्रांसलेशन का श्रेय दिया जाता है. दरअसल, सेंट जेरोम का पुण्यतिथी भी 30 सिंतबर की होती है.
इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे का इतिहास
साल 1953 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ट्रांसलेटर्स (FIT) द्वारा ट्रांसलेटर कम्युनिटी को प्रोत्साहित करने के लिए इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे मनाने की शुरुआत की. हालांकि, साल 1991 में एफआईटी ने ऑफिशियल तौर पर मान्यता प्राप्त इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे को बढ़ावा देना शुरू किया, ताकि दुनिया भर में मौजूद ट्रांसलेटर कम्युनिटी की एकता को बढ़ावा मिल सके और वे बेहतर तरीके से काम कर सक.
ट्रांसलेटर्स की महत्वपूर्ण योगदान
24 मई 2017 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 30 सितंबर को इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे के रूप में घोषित किए जाने को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया था. उन्होंने बाइबिल के ट्रांसलेटर सेंट जेरोम के पर्व के कारण ही 30 सितंबर को चुना. हालांकि, 21वीं सदी में कई ऐसे माध्यम हैं, जिसके जरिए भाषाओं को आसानी से ट्रांसलेंट किया जा सकता है, लेकिन अब तक अनुवादकों ने दुनियाभर के साहित्य को सरहदों के पार पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि अनुवाद के जरिए विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के बीच एक पुल बनाना आसान हो जाता है.
वहीं, भारत की बात करें तो इस देश में अलग-अलग धर्म, जाति और वर्ग के लोग रहते हैं, जो कम्युनिकशन के लिए कई भाषाओं का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, भारतीय संविधान में केवल 22 भाषाएं मान्यता प्राप्त हैं, लेकिन एक आंकड़े के मुताबिक देश में लगभग 121 भाषाएं बोली और समझी जाती हैं.
(इनपुट- आईएएनएस)