Why Goddess Saraswati Worshiped on Basant Panchami: आज पूरे देश में बसंत पंचमी का त्योहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है. आज का दिन लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और मां सरस्वती की पूजा करते हैं. कहा जाता है कि आज के दिन हर छात्र को मां सरस्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए. लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि आखिर हम बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा क्यों करते हैं. दरअसल, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के पीछे कई कारण हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:


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1. मां सरस्वती का जन्म:


मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का जन्म हुआ था। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, वीणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थीं. इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है.


2. वसंत ऋतु का आगमन:


बसंत पंचमी वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है. वसंत ऋतु को प्रकृति का नया जन्म कहा जाता है. इस ऋतु में चारों ओर हरियाली और रंगों की बहार होती है. इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा कर वसंत ऋतु का स्वागत किया जाता है.


3. ज्ञान और कला की देवी:


मां सरस्वती को ज्ञान और कला की देवी माना जाता है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि, कला और संगीत में प्रगति प्राप्त होती है. विद्यार्थी इस दिन मां सरस्वती से ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.


4. मां लक्ष्मी और देवी काली का आशीर्वाद:


शास्त्रों के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली भी प्रसन्न होती हैं. इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से धन-धान्य, समृद्धि और शक्ति प्राप्त होती है.


5. शुभ मुहूर्त:


बसंत पंचमी का दिन कई शुभ कार्यों के लिए भी माना जाता है. इस दिन विद्यारंभ, विवाह, गृह प्रवेश, शिक्षा और कला से संबंधित कार्यों को शुरू करना शुभ माना जाता है.


6. पीले रंग का महत्व:


बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है. पीला रंग ज्ञान, समृद्धि और उल्लास का प्रतीक है. इसलिए इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं और मां सरस्वती को पीले रंग के फूल और भोग अर्पित करते हैं.


7. पतंग उड़ाना:


बसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है. पतंग उड़ाना स्वतंत्रता, उल्लास और खुशी का प्रतीक है. इस दिन लोग रंग-बिरंगी पतंग उड़ाकर वसंत ऋतु का आनंद लेते हैं.


8. सामाजिक समरसता:


बसंत पंचमी का त्योहार सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है. इस दिन सभी लोग मिल-जुलकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं और वसंत ऋतु का स्वागत करते हैं.