How to Teach Good Habits to Kids: बच्चों में संस्कार और मैनर्स होने के लिए उनकी अच्छी परवरिश पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है, क्योंकि अच्छी शिक्षा और संस्कार ही पूरी जिंदगी साथ निभाते हैं. बच्चों की सही परवरिश का असर केवल उसकी आने वाली जिंदगी पर असर नहीं डालती, बल्कि इससे पूरा समाज प्रभावित होता है. ऐसे में बचपन में उनकी गलतियों को नजरअंदाज करके आप देश का भविष्य खराब करने में जिम्मेदार हो सकते हैं. यहां जानिए कि पेरेंट्स को अपने बच्चों के 3 साल के बाद कौन सी अच्छी और जरूरी बातें सिखा सकते हैं...


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बच्चे को सिखाएं ये 3 शब्द कहना 
किसी से प्लीज, थैंक यू और सॉरी कहना बहुत ही अच्छे और जरूरी मैनर्स होते हैं. कम उम्र से ही उन्हें 'प्लीज', 'सॉरी' और 'थैंक यू' की अहमियत समझाएं. बच्चों को प्यार से समझाएं कि जब किसी से कुछ पूछने या मांगने के लिए रिक्वेस्ट करते हैं, तो उस समय प्लीज कहें. किसी की मदद या कोई चीज लेते समय थैंक यू कहें. अगर कोई गलती हो जाए तो उसे माने और सामने वाले से सॉरी कहें. पेरेंट्स को बच्चे से खुद भी ऐसा व्यवहार करना चाहिए. 


बिना पूछे ना यूज करें किसी की चीज
बच्चे को यह सिखाएं कि किसी के सामान को बिना पूछे हाथ नहीं लगाना चाहिए. बच्चों में ये आदत डालना बहुत ही जरूरी है. हमेशा दूसरे की चीजों को इस्तेमाल करने से पहले जिसका सामान है उससे पूछे. दूसरों की चीजों को बिना पूछे और बिना परमिशन के यूज करना अच्छी बात नहीं.  


नॉक करने की आदत 
कम उम्र में ही बच्चों को प्राइवेसी के मायने सिखाने बहुत जरूरी है. खासतौर पर दूसरों के कमरे में एंटर करने या किसी के घर के अंदर जाने से पहले गेट नॉक करना ना भूलें. इतना ही नहीं अगर आपके बच्चे का कमरा अलग है तो आप खुद भी उसके कमरे में नॉक करके ही जाएं. 


सही से बात करना सिखाएं
घर में बच्चे के सामने चिल्लाना, गुस्सा करना और शोर मचाकर बात नहीं करना चाहिए. इतना ही नहीं उसे सिखाएं कि चाहे वह किसी बात को लेकर कितना भी नाराज या गुस्सा हो उसे अपनी बात आराम से रखना रखना चाहिए. 


साफ-सफाई
खांसते या छींकते समय बच्चे को रुमाल से अपना मुंह ढकना सिखाएं. हमेशा उसकी पॉकेट में एक रुमाल रखें या उनके कपड़ों पर पिनअप कर दें. इसके अलावा कुछ भी खाने-पीने से पहले हाथ धोना सिखाएं. 


किसी की बात न काटे
बच्चे को गुड लिसनर बनाए और इस अच्छी आदत के फायदों के बारे में जरूर बताएं. उसे सिखाएं कि जब सामने वाला बात कर रहा हो तो उसे अपनी बात कंप्लीट करते दें, उसकी बात पूरी होने तक इंतजार करें और उसके बाद ही अपनी बात रखें. 


न उड़ाए किसी का मजाक
किसी को देखकर मज़ाक उड़ाने की आदत न सीखने दें. अगर बच्चे में ये आदत आ भी जाए तो उसी समय बदलने की कोशिश करें. अच्छी-बुरी हर बात बच्चे पहले अपने घर के बड़ों से ही सीखते हैं. ऐसे में उनके सामने दूसरों का मजाक न बनाएं.