भारत में मौजूद हैं ढेरों बेहतरीन करियर ऑप्शन, लेकिन डॉक्टर और इंजीनियर बनने का इतना क्रेज क्यों?
Popular Career Choices: आज तेजी से बदलते इस दौर में करियर के कई बेहतरीन और नए विकल्प मौजूद हैं. इसके बावजूद भारत में युवाओं की पहली पसंद अब भी डॉक्टर या इंजीनियर बनना ही है. यहां जानिए भारत के युवा क्यों इन दो प्रोफेशन के सबसे ज्यादा चुनते हैं...
Craze for Doctor And Engineer: सभी राज्यों में बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे जारी हो चुके हैं. अब बेस्ट यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एडमिशन की रेस शुरू हो गई. हाल ही में नीट यूजी और जेईई एडवांस के नतीजे घोषित किए गए. इनकी 1 से 1.5 लाख सीटों के लिए इससे कई गुना ज्यादा बच्चों ने परीक्षा दी. इसी से पता चलता है कि अब भी हमारे देश में डॉक्टर और इंजीनियर बनने का युवाओं में सबसे ज्यादा क्रेज है, जबकि आज के समय में तो एक से बढ़कर एक करियर ऑप्शन मौजूद है.
कैम्ब्रिज असेसमेंट की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 62 प्रतिशत स्टूडेंट्स 12वीं के बाद डॉक्टर या इंजीनियरिंग का कोर्स चुनना पसंद करते हैं. इनमें करीब 40 फीसदी बच्चे इंजीनियर तो करीब 23 प्रतिशत बच्चे डॉक्टर के रूप में अपना करियर बनाना चाहते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर इसकी क्या वजह है...
आखिर क्यों है इन दोनों कोर्स का इतना क्रेज?
डॉक्टर और इंजीनियर बनने पीछे सबसे बड़ी और मुख्य वजह है, इन दोनों ही सेक्टर्स में नौकरी की अपार संभावनाएं. पूरी दुनिया भारतीयों के दिमाग का लोहा मानती है, तभी तो यहां के डॉक्टर्स और इंजीनियर्स की इतनी डिमांड है. गूगल जैसी कंपनी में भारतीय इंजीनियरों की भरमार है, तो वहीं अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बड़ी संख्या में इंडियन डॉक्टर हैं. विदेश में नौकरी के अवसर को भारतीय खोना नहीं चाहते.
सबसे ज्यादा आबादी
भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन चुका है. ऐसे में जितने ज्यादा लोग होंगे, उतने ही ज्यादा संसाधनों की जरूरत पड़ेगी. लोगों के लिए नए घर, नई सड़कें, ब्रिज, फ्लाईओवर, डॉस्पिटल से लेकर तमाम तरह के अन्य ढांचागत बढ़ाने होंगे. इन संसाधनों के निर्माण के लिए सरकारी और प्राइवेट स्तर पर लगातार काम चलता ही रहता है. इनके निर्माण के लिए बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग की डिमांड रहती है. कई बार तो पढ़ाई होते ही उनके पास नौकरी होती है, फिर चाहे वह प्राइवेट हो या सरकारी.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर में करियर
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी तकनीक ने मार्केट में धूम मचा रखी है. कम्यूनिकेशन के तेजी से अपडेट होते इन रिसोर्सेस में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की अहम भूमिका है. इक छोटी सी घड़ी से लेकर मोबाइल, एरोप्लेन से लेकर परमाणु ऊर्जा संयंत्रों तक के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की जरूरत पड़ती है. ऐसे में इस प्रोफेशन के बारे में थोड़ी सी जानकारी रखने वाले युवा इस फील्ड में बेहतर करियर बना सकते हैं.
मेडिकल सेक्टर में जाने का क्यों है क्रेज?
देश-विदेश में भारतीय डॉक्टरों की डिमांड है. वहीं, भारत में बढ़ती आबादी के हिसाब से चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं. सरकारी अस्पतालों में अच्छी सुविधा नहीं है. ज्यादातर लोग अच्छे इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर है. वहीं, अस्पताल और क्लीनिक की बढ़ती संख्या से डॉक्टर्स की प्राइवेट प्रैक्टिस भी बढ़ रही है.
सिविल सर्विसेस
पहले तो मेडिकल की पढ़ाई करने वाले प्रैक्टिस और टीचिंग ही करते थे. वहीं, अब बड़ी संख्या में मेडिकल स्टूडेंट्स सिविल सर्विस का विकल्प चुन रहे हैं. कुछ ऐसा ही इंजीनियर्स का भी हाल है, क्योंकि इन दोनों ही क्षेत्रों में प्रतिभाशाली बच्चे होते हैं, जिनकी अपने विषय पर मजबूत पकड़ होती है. ऐस में सिविल सर्विस एग्जाम क्लियर करना इनके लिए आसान हो जाता है. ये आईएएस-आईपीएस बनकर देश की सेवा करते हैं.
एक वजह ये भी है
इस पेशे में युवाओं को बहुत पैसा दिखता है, इसलिए इसका क्रेज बढ़ रहा है. आज भी डॉक्टर-इंजीनियर को बहुत ही रिस्पेक्ट दिया जाता है. मरीजों के लिए तो डॉक्टर भगवान से कम नहीं है. डॉक्टर और इंजीनियर की बढ़िया सैलरी होती है. इसके कारण इनकी लाइफस्टाइल भी अच्छा होता है.