पहले JEE में लाए 99.28 पर्सेंटाइल, फिर NEET-UG में हासिल की रैंक 1, बने ऑल इंडिया टॉपर
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NEET-UG Topper Mrinal Kutteri: आज हम आपको प्रेरणा की उस मिसाल के बारे में बताएंगे, जिन्होंने JEE की परीक्षा में 99.28 पर्सेंटाइल तो NEET-UG परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की है. आप उनकी स्ट्रेटेजी के बारे में भी यहां जान सकते हैं.
NEET-UG Topper Mrinal Kutteri: दुनिया में कुछ उपलब्धियां इतनी असाधारण होती हैं कि वे प्रेरणा और प्रभाव की कहानी बन जाती हैं. ऐसी ही एक प्रेरणा हैं 2021 NEET-UG टॉपर मृणाल कुट्टेरी. मृणाल कुट्टेरी का जन्म और पालन-पोषण हैदराबाद में हुआ. वह अपने माता-पिता, छोटे भाई और दादा-दादी के साथ रहते हैं. उनका परिवार मूल रूप से केरल से है. दिलचस्प बात यह है कि उनके परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है, इसलिए डॉक्टर बनने की प्रेरणा उन्हें परिवार से नहीं मिली.
NEET-UG टॉप करने का सफर
मृणाल ने साल 2021 में NEET-UG परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल की थी. इससे पहले, उन्होंने जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम (JEE) और किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (KVPY) की परीक्षा भी पास की थी. कक्षा 8 से ही उन्हें बायोलॉजी और केमिस्ट्री में रुचि थी. उन्होंने लगभग 3.5 साल NEET की तैयारी की और कक्षा 11वीं और 12वीं में आकाश इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की.
मृणाल ने डॉक्टर बनने का फैसला क्यों किया?
NEET टॉप करने वाले मृणाल ने बताया कि उन्होंने JEE परीक्षा केवल अभ्यास के लिए दी थी, क्योंकि इसमें फिजिक्स और केमिस्ट्री के विषय समान होते हैं. उन्होंने इसमें 99.28 पर्सेंटाइल हासिल किए थे. उन्होंने KVPY परीक्षा भी पास की और शुरुआत में जेनेटिक्स रिसर्च में करियर बनाने का विचार किया. लेकिन NEET में सफलता और बायोलॉजी के प्रति अपने जुनून के कारण उन्होंने मेडिसिन को ही करियर के रूप में चुनने का फैसला किया.
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया, "मैं पहले आर्मी डॉक्टर बनना चाहता था ताकि मुझे दवाओं और एडवेंचर से भरी जिंदगी जीने का मौका मिले, लेकिन बाद में मेरी रुचि पूरी तरह से मेडिसिन में हो गई. कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टरों को फ्रंटलाइन पर काम करते देखना बहुत प्रेरणादायक था, जिसने मुझे और ज्यादा प्रेरित किया."
मृणाल कुट्टेरी की तैयारी रणनीति
अपनी तैयारी के बारे में बात करते हुए, मृणाल ने बताया कि वह कभी भी बहुत सख्त रूटीन नहीं बनाते थे. कोरोना लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपने शौक पूरे करने में काफी समय बिताया, जिससे पढ़ाई पर असर पड़ा. इसके बाद उन्होंने अपने रूटीन को संतुलित किया और फ्लेक्सिबल रणनीति अपनाई.
उन्होंने बताया, "मैंने हमेशा एक फ्री-फॉर्म स्टडी पैटर्न अपनाया. मैं एक दिन के छोटे लक्ष्य बनाता था. कई बार मैं लक्ष्य पूरा नहीं कर पाता था, लेकिन इससे मुझे कभी भी निराशा नहीं हुई. इस फ्लेक्सिबिलिटी को अपनाना ही मेरी सबसे बड़ी ताकत थी."
उन्होंने यह भी कहा कि वह हर दिन अलग-अलग समय तक पढ़ाई करते थे. कुछ दिन वह बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं कर पाते थे.
परिवार का समर्थन और पढ़ाई की अनोखी तकनीक
मृणाल के माता-पिता, जो एक HR मार्केटिंग कंसल्टेंट और एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, उन्होंने उनके खास पढ़ाई के तरीके को हमेशा सपोर्ट किया. उन्होंने 45-45 मिनट की पढ़ाई के बाद 10-15 मिनट का ब्रेक लेने की आदत बनाई, ताकि दिमाग और शरीर को आराम मिले. उनके माता-पिता और शिक्षकों ने उनके इस शेड्यूल को पूरी तरह से स्वीकार किया और कभी भी उन पर दबाव नहीं डाला. इससे वह आराम से पढ़ाई कर सके और अपने शौक भी जारी रख सके.
मृणाल कुट्टेरी की कहानी हर उस छात्र के लिए प्रेरणादायक है जो सख्त रूटीन को अपनाए बिना भी स्मार्ट तरीके से पढ़ाई करके सफलता हासिल करना चाहता है.