Maulana Abul Kalam Azad National Education Day: हर साल भारत एक ऐसे व्यक्ति को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाता है जो देश का पहला शिक्षा मंत्री भी था. शिक्षा मंत्री होने के अलावा, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सबसे युवा अध्यक्ष भी थे. न केवल उनके नेतृत्व गुणों बल्कि उनके दूरदर्शी विचारों और सोच ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) की स्थापना के साथ आधुनिक भारत को आकार दिया.


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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सम्मान में मनाया जाता है , जो एक प्रमुख भारतीय विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् थे. भारत की स्वतंत्रता और राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान बहुत बड़ा था, और उनकी विरासत अलग अलग क्षेत्रों में कायम है. उन्हें स्वतंत्र भारत का एक प्रमुख वास्तुकार कहा जाता है और वे IIT और UGC की स्थापना करने वाले एक प्रमुख व्यक्ति रहे.


यह दिन मौलाना अबुल कलाम आजाद के शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. 1920 में, उन्हें अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना के लिए फाउंडेशन कमेटी में चुना गया था. बाद में उन्होंने 1934 में यूनिवर्सिटी  कैंपस को नई दिल्ली में शिफ्ट करने में अहम भूमिका निभाई और आज, कैंपस के मुख्य द्वार पर उनका नाम अंकित है.


भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में, उन्होंने स्वतंत्रता के बाद के भारत में ग्रामीण गरीबों और लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने पर फोकस किया. उनकी प्राथमिकताओं में एडल्ट लिटरेसी को बढ़ावा देना, 14 साल की आयु तक के सभी बच्चों के लिए फ्री और कंपलसरी एजुकेशन सुनिश्चित करना, यूनिवर्सल प्राइमरी एजुकेशन का विस्तार करना और वोकेशनल ट्रेनिंग पर जोर देते हुए माध्यमिक शिक्षा में विविधता लाना शामिल था.


मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का योगदान स्वतंत्रता आंदोलन से कहीं आगे तक गया. शिक्षित, धर्मनिरपेक्ष और एकीकृत भारत के लिए उनकी अप्रोच कई मायनों में देश की प्रगति को आकार दे रही है. इस दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले 11 नवंबर 2008 को की गई थी जिसके बाद हर साल यह दिन सेलिब्रेट किया जाने लगा.


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