No Detention Policy खत्म, 5-8वीं में फेल हुए तो नहीं मिलेगा अगली क्लास में प्रमोशन, मोदी सरकार का बड़ा फैसला
No Detention Policy: मोदी सरकार ने पढ़ाई में सुधार के लिए बड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत अब `नो डिटेंशन पॉलिसी` को खत्म करने का फैसला लिया गया है. इसका मतलब है कि अब 5वीं और 8वीं में फेल होने वाले बच्चों को अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा.
No Detention Policy Abolished: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म कर दिया है. इस फैसले के तहत अब क्लास 5 और 8 की वार्षिक परीक्षाओं में असफल होने वाले स्टूडेंट्स को फेल किया जाएगा. हालांकि, स्टूडेंट्स को अपनी क्लासेस पास करने के लिए दूसरा मौका दिया जाएगा. इस नई नीति का उद्देश्य स्टूडेंट्स की सीखने की क्षमता को बेहतर बनाना और एकेडमिक परफॉर्मेंस में सुधार लाना है.
शिक्षा में सुधार के उपाय
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्टूडेंट्स के एकेडमिक परफॉरमेंस में सुधार लाने के मकसद से 'नो डिटेंशन पॉलिसी' को खत्म करने का फैसला लिया है. यह नीति लंबे समय से चर्चा में थी, लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत क्लास 5 और 8 में वार्षिक परीक्षा में असफल होने वाले स्टूडेंट्स को फेल किया जाएगा.
दूसरा मौका मिलेगा, लेकिन फेल पर प्रमोशन नहीं
इस नई व्यवस्था के अनुसार, असफल स्टूडेंट्स को दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा, लेकिन अगर स्टूडेंट्स दोबारा असफल होते हैं, तो उन्हें अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा. हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि क्लास 8 तक किसी भी स्टूडेंट्स को स्कूल से निष्कासित नहीं किया जाएगा.
पढ़ाई के नतीजे सुधारने पर जोर
शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने बताया कि यह फैसला बच्चों के पढ़ाई के परिणाम सुधारने के उद्देश्य से लिया गया है. उनका कहना है कि बच्चों की सीखने की क्षमता में गिरावट को रोकने के लिए इस कदम को जरूरी समझा गया.
क्लास 5 और 8 पर विशेष ध्यान
मंत्रालय ने विशेष रूप से क्लास 5 और 8 पर ध्यान केंद्रित किया है, क्योंकि इन क्लासओं को बुनियादी शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस नई नीति से स्टूडेंट्स और टीचर्स दोनों को पढ़ाई के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाने का प्रयास किया गया है.
क्या है सरकार का उद्देश्य?
सरकार का मानना है कि यह कदम स्टूडेंट्स की एजुकेशन में गुणवत्ता लाने में मदद करेगा. साथ ही टीचर्स और अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई को लेकर ज्यादा सतर्क और जागरूक बनने की जरूरीत होगी.