34 Padma Awardee Unsung Heroes: केंद्र सरकार ने गुरुवार को 75वें गणतंत्र दिवस समारोह की पूर्व संध्या पर 34 पद्म पुरस्कार विजेताओं की पहली लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में कई ऐसे गुमनाम नायक शामिल हैं, जिन्होंने देश के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. इन्हीं गुमनाम नायकों में भारत की पहली मादा हाथी महावत, प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और जले हुए पीड़ितों के लिए काम करने वाले प्लास्टिक सर्जन शामिल हैं. इन्हें केंद्र सरकार द्वारा इनके सराहनिय कार्य के लिए पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.


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इस साल सरकार द्वारा नामित 110 पद्म श्री पुरस्कार विजेताओं में से 34 "गुमनाम नायक" हैं, जिनमें से एक तिहाई से अधिक आदिवासी हैं, जिन्होंने आदिवासी कल्याण के लिए काम किया है. आप इन महान नायकों की लिस्ट और उनके द्वारा किए गए महान काम के बारे में नीचे जान सकते हैं. 


यहां देखें 34 पद्म श्री पुरस्कार विजेताओं की लिस्ट


1. पारबती बरुआ: भारत की पहली मादा हाथी महावत, जिन्होंने रूढ़िवादी सोच पर काबू पाने के लिए 14 साल की उम्र में जंगली हाथियों को वश में करना शुरू किया.


2. जागेश्वर यादव: कल्याण कार्यकर्ता जिन्होंने बिरहोर और कोरवा की पीवीटीजी (PVTG) जनजातियों की बेहतरी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.


3. चामी मुर्मू: आदिवासी योद्धा जिन्होंने 30 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं और स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) के माध्यम से 30,000 महिलाओं को सशक्त बनाया है.


4. गुरविंदर सिंह: अनाथों और दिव्यांगों के लिए आशा की किरण जगाने वाले सिरसा के सामाजिक कार्यकर्ता.


5. सत्यनारायण बेलेरी: इन्होंने बेहद इनोवेटिव पॉलीबैग मेथड के माध्यम से पारंपरिक चावल की किस्मों को संरक्षित करने का काम किया है.


6. दुखु माझी: यह एक पर्यावरणविद् है, जिन्होंने हरे भविष्य के लिए पेड़ लगाने और जागरूकता फैलाने के लिए अपने जीवन के 5 दशक समर्पित किए हैं.


7. के चेल्लाम्मल: अनुभवी जैविक किसान, जिन्होंने नारियल और ताड़ के पेड़ की क्षति को रोकने के लिए काफी कुशल नियंत्रण उपाय विकसित किए हैं.


8. संगथंकिमा: इन्होंने भावी पीढ़ियों को पुनर्वास सेवाएं और आश्रय प्रदान किया है.


9. हेमचंद मांझी: यह पारंपरिक चिकित्सा व्यवसायी है, जो पूरे राज्यों में, खासकर गांवों में जरूरतमंद मरीजों का इलाज करते हैं.


10. यानुंग जामोह लेगो: यह जनजातीय हर्बल औषधीय विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने जनजाति की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को पुनर्जीवित किया है.


11. सोमन्ना: जनजातीय कल्याण कार्यकर्ता जेनु कुरुबा जनजाति की भलाई के लिए काम कर रहे हैं.


12. सरबेश्वर बसुमतारी: दिहाड़ी मजदूर से किसान बने और आज मिश्रित एकीकृत खेती में सभी के लिए एक मॉडल बन गए हैं.


13. प्रेमा धनराज: जली हुई पीड़िता बर्न सर्जन बनीं, जिन्होंने व्यक्तिगत त्रासदी से उबरकर जली हुई पीड़िताओं के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.


14. उदय विश्वनाथ देशपांडे: मल्लखंभ के ध्वजवाहक, जिन्हें इस खेल को वैश्विक मानचित्र पर लाने का श्रेय दिया जाता है.


15. यज़्दी मानेकशा इटालिया: यह एक डॉक्टर हैं, जिन्होंने गुजरात के आदिवासियों में सिकल सेल एनीमिया से लड़ने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.


16. शांति देवी पासवान और शिवन पासवान: गोदना चित्रकारों की जोड़ी, जिन्होंने सामाजिक कलंकों पर काबू पाकर विश्व स्तर पर मधुबनी पेंटिंग में प्रमुख चेहरा बन गए.


17. रतन कहार: अपनी रचना 'बोरो लोकेर बिटी लो' से लोगों का ध्यान खींचा.


18. अशोक कुमार विश्वास: लोक चित्रकार जिन्होंने मौर्य युग की टिकुली कला को पुनर्जीवित किया, हजारों डिजाइन तैयार किए और 8,000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया.


19. बालकृष्णन सदनम पुथिया वीटिल: पिछले 6 दशकों से कल्लुवाझी कथकली के लिए वैश्विक प्रशंसा अर्जित कर रहे हैं.


20. उमा माहेश्वरी डी: पहली महिला हरिकथा प्रतिपादक, जिन्होंने विश्व स्तर पर विभिन्न रागों में प्रदर्शन किया है.


21. गोपीनाथ स्वैन: 9 दशकों से अधिक समय से कृष्ण लीला का प्रदर्शन कर रहे सौ वर्षीय व्यक्ति है.


22. स्मृति रेखा चकमा: बुनकर पर्यावरण-अनुकूल सब्जियों से रंगे सूती धागों को पारंपरिक डिजाइनों में बदल रहे हैं।


23. ओमप्रकाश शर्मा: 200 साल पुराने मालवा क्षेत्र के पारंपरिक नृत्य नाटक 'माच' का 7 दशकों से अधिक समय तक प्रचार किया.


24. नारायणन ई.पी: थेय्यम के पारंपरिक कला रूप को बढ़ावा देने के लिए अपने जीवन के 6 दशक समर्पित कर दिए.


25. भागवत पधान: सबदा नृत्य के दायरे को व्यापक मंचों तक विस्तारित किया और कला में विविध समूहों को प्रशिक्षित किया.


26. सनातन रुद्र पाल: यह एक मूर्तिकार है, जो 5 दशकों से अधिक समय से पारंपरिक साबेकी दुर्गा मूर्तियों को तैयार करने के लिए जाने जाते हैं.


27. बदरप्पन एम: 87 वर्षीय वल्ली ओयिल कुम्मी नृत्य गुरु, जो परंपरा से हटकर महिलाओं को भी प्रशिक्षित करते हैं.


28. जॉर्डन लेप्चा: सिक्किम की पारंपरिक लेप्चा टोपियों को संरक्षित करने वाले बांस शिल्पकार.


29. माचिहान सासा: मास्टर शिल्पकार जिन्होंने लोंगपी मिट्टी के बर्तनों की प्राचीन मणिपुरी परंपरा को बढ़ावा दिया और संरक्षित किया है.


30. गद्दाम सम्मैया: 5 दशकों से अधिक समय से चिंदु यक्षगानम प्रदर्शन के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डाला है


31. जानकीलाल: तीसरी पीढ़ी के कलाकार, जो 6 दशकों से अधिक समय से लुप्त होती बहरूपिया कला में महारत हासिल कर रहे हैं.


32. दसारी कोंडप्पा: अंतिम बुर्रा वीणा वादकों में से एक, जिन्होंने अपना जीवन स्वदेशी कला को समर्पित कर दिया.


33. बाबू राम यादव: यह एक पीतल शिल्पकार है, जो पिछले 6 दशकों से विश्व स्तर पर जटिल पीतल मरोरी शिल्प का नेतृत्व कर रहे हैं.


34. नेपाल चंद्र सूत्रधार: पुरुलिया शैली के नृत्य और सदियों पुराने छाऊ के मुखौटे बनाने के अंतिम और वरिष्ठतम अभ्यासकर्ताओं में से एक है.