QS Asia 2025: भारत ने लगातार दूसरे साल क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में चीन को पीछे छोड़ दिया है, जो देश की हायर एजुकेशन में तेजी से होते सुधार का संकेत है. भारत के 193 उच्च शिक्षण संस्थान को इस लिस्ट में शामिल किया गया है. देश ने विश्वविद्यालय प्रतिनिधित्व में सबसे अधिक बढ़ोतरी दिखाई है. इस लिस्ट में 21 नई एंट्री भी जुड़ी हैं. वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषक क्वाक्वेरेली साइमंड्स द्वारा जारी एशिया के बेस्ट यूनिवर्सिटीज की लेटेस्ट सालाना लिस्ट के अनुसार, भारत के बाद चीन 135 विश्वविद्यालयों और जापान 115 विश्वविद्यालयों के साथ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर है.


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भारत ने 148 विश्वविद्यालयों के साथ 2024 क्यूएस रैंकिंग में चीन को पीछे छोड़ दिया था. पिछले साल चीन के केवल 133 शैक्षणिक संस्थान इस लिस्ट में शामिल हुए थे. 2025 के एडिशन में एशिया की 25 उच्च शिक्षा प्रणालियों में 984 विश्वविद्यालय शामिल हैं. यह पिछले साल की तुलना में 127 ज्यादा है. एशिया के टॉप 100 संस्थानों में लगभग सात भारतीय विश्वविद्यालय शामिल हैं.


आईआईटी दिल्ली (आईआईटीडी) टॉप पर रहा, उसके बाद आईआईटी बॉम्बे दूसरे स्थान पर खिसक गया. अन्य नामों में दिल्ली विश्वविद्यालय, आईआईएससी बैंगलोर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी कानपुर शामिल हैं.


क्यूएस की सीईओ जेसिका टर्नर ने एक बयान में कहा, "भारत की शैक्षणिक क्षमता इसके रिसर्च आउटपुट और पीएचडी-ट्रेन्ड फैकल्टी की ज्यादा संख्या से प्रदर्शित होती है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक मंच पर एक बेंचमार्क स्थापित करते हुए अपने विश्वविद्यालयों की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बढ़ाते हैं."
अकादमिक प्रतिष्ठा में भारतीय विश्वविद्यालयों को 75 प्रतिशत मार्क्स मिले, जबकि नियोक्ता प्रतिष्ठा में यह 73 प्रतिशत रहा.


रिपोर्ट से पता चला कि रिसर्च प्रोडक्टिविटी भारतीय विश्वविद्यालयों की एक बड़ी ताकत है. 'पेपर्स पर फैकल्टी' में एशिया के टॉप पांच विश्वविद्यालयों में से चार भारतीय हैं, जबकि अन्ना विश्वविद्यालय दूसरे स्थान पर है. इसके अलावा, भारतीय विश्वविद्यालयों ने कर्मचारियों की हाई लेवल की विशेषज्ञता भी दिखाई, जिसमें आठ विश्वविद्यालय 'पीएचडी वाले कर्मचारियों' में दूसरे स्थान पर रहे.


हालांकि, देश ने अंतर्राष्ट्रीयकरण संकेतकों 'अंतर्राष्ट्रीय छात्रों' में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया. इस लिस्ट में एमिटी यूनिवर्सिटी 87वें स्थान पर रही, जबकि कोई अन्य भारतीय संस्थान टॉप 100 में शामिल नहीं हो सका.


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