नई दिल्ली: भारत में, IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) और IPS (भारतीय पुलिस सेवा) दो सबसे प्रतिष्ठित और शक्तिशाली सेवाएं हैं. इन सेवाओं में चयन होने के लिए उम्मीदवारों को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा को क्वालीफाई करना होता है. 


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आईएएस और आईपीएस के बीच अंतर


कार्य: आईएएस अधिकारी सरकार की नीतियों को लागू करने, विकास कार्यों को देखने और जिले के प्रशासन का नेतृत्व करने जैसे व्यापक दायित्वों को निभाते हैं. वहीं, आईपीएस अधिकारी कानून व्यवस्था बनाए रखने, अपराधों की जांच करने और पुलिस फोर्स का नेतृत्व करने जैसे विशिष्ट कार्य करते हैं.


शक्तियां: आईएएस अधिकारी एक जिले के सभी विभागों पर नियंत्रण रखते हैं, जबकि आईपीएस अधिकारी का केवल पुलिस विभाग पर नियंत्रण होता है.


कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी: दोनों सेवाओं की कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी अलग-अलग होती है. आईएएस अधिकारियों की कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी भारत सरकार होती है, जबकि आईपीएस अधिकारियों की कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी संबंधित राज्य सरकार होती है.


आईपीएस अधिकारी क्यों नहीं पहनते कैप?


अक्सर देखा जाता है कि IPS अधिकारी IAS अधिकारियों के सामने अपनी कैप नहीं पहनते हैं. इसका मुख्य कारण है "सैल्यूटिंग का नियम". जब एक IPS अधिकारी अपनी पूरी वर्दी में होता है और एक IAS अधिकारी से मिलता है, तो उसे आईएएस अधिकारी को सैल्यूट करना होता है. लेकिन अगर IPS अधिकारी ने अपनी पूरी वर्दी नहीं पहनी है, तो उसे सैल्यूट करने की आवश्यकता नहीं होती. इसीलिए, कई आईपीएस अधिकारी जानबूझकर अपनी कैप नहीं पहनते हैं ताकि उन्हें आईएएस अधिकारी को सैल्यूट न करना पड़े.


इस व्यवहार के पीछे का तर्क


यह व्यवहार पूरी तरह से औपचारिक है और इसका मतलब यह नहीं है कि आईपीएस अधिकारी आईएएस अधिकारियों से कम महत्वपूर्ण हैं. यह सिर्फ एक प्रोटोकॉल है जिसे दोनों सेवाओं के अधिकारियों द्वारा पालन किया जाता है.


आईएएस और आईपीएस दोनों ही भारत की महत्वपूर्ण सेवाएं हैं और दोनों के अधिकारी देश की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. हालांकि, दोनों के बीच कुछ औपचारिक अंतर हैं, जैसे कि कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी और सैल्यूटिंग के नियम. ये अंतर दोनों सेवाओं की अलग-अलग भूमिकाओं को दर्शाते हैं.