Army Dogs: डॉग्स की आर्मी में अहम भूमिका होती है. क्या आप जानते हैं कि आर्मी डॉग्स की भर्ती कैसे होती है, उनकी ट्रेनिंग कहां होती है, सर्विस कितने साल की होती है, उनकी ड्यूटी क्या होती हैं. अगर नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इसकी पूरी जानकारी यहां दे रहे हैं. भारतीय सेना की डॉग यूनिट्स में अलग अलग तरह के कुत्ते हैं. इनमें लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियम मालिंस और ग्रेट माउंटेन स्विस डॉग शामिल हैं. 2019 में संसद में दिए गए एक बयान में रक्षा राज्य मंत्री ने खुलासा किया था कि सेना के पास 25 फुल डॉग यूनिट और दो हाफ यूनिट हैं. एक फुल डॉग यूनिट में 24 कुत्ते होते हैं और हाफ यूनिट में 12 कुत्ते होते हैं.


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क्या होती हैं ड्यूटी
सेना के कुत्तों द्वारा कई तरह की ड्यूटीज का पालन किया जाता है और इनमें गार्ड ड्यूटी, पेट्रोलिंग, इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस (आईईडी) सहित विस्फोटकों को सूंघना, माइन का पता लगाना, ड्रग्स समेत प्रतिबंधित वस्तुओं को सूंघना, संभावित टारगेट पर हमला करना, छिपे हुए भगोड़ों और आतंकवादियों का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान में भाग लेना शामिल है.


सबके साथ होता है हैंडलर
सेना के हर कुत्ते के पास एक डॉग हैंडलर होता है जो कुत्ते की देखरेख के लिए जिम्मेदार होता है और साथ ही उसे अलग अलग माध्यम से गाइड करने के लिए भी जो उसे करने होते हैं.


यहां है ट्रेनिंग स्कूल
सेना के कुत्तों को मेरठ के रिमाउंट एंड वेटरनरी कोर सेंटर एंड स्कूल में ट्रेंड किया जाता है. 1960 में इस जगह पर एक डॉग ट्रेनिंग स्कूल खोला गया था. कुत्तों की नस्ल और योग्यता के आधार पर, उन्हें शामिल किए जाने से पहले अलग अलग स्किल टेस्ट  किया जाता है. 


डॉग्स की सैलरी
डॉग्‍स को आर्मी में रैंक तो मिलती है, पर कोई सैलरी नहीं दी जाती. डॉग्‍स को केवल डाइट दी जाती है जिसकी जिम्‍मेदारी डॉग हैंडलर की होती है. डॉग हैंडलर्स अच्‍छे वेतन पर सेना में नौकरी करते हैं.


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