IIT English Class: जब आईआईटी-जम्मू में स्टूडेंट्स के नए बैच में से कई ने परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, तो फेकल्टी ने उनके साथ बातचीत करने का फैसला किया. तभी उन्हें एहसास हुआ कि कई स्टूडेंट्स, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों से, अंग्रेजी में कुशल नहीं थे और लेक्चर फॉलो करने में भी असमर्थ थे. संस्थान ने एक लैंग्वेज प्रोफिशिएंसी एग्जाम आयोजित करने का फैसला लिया, उन स्टूडेंट्स की पहचान की जो अंग्रेजी में कमजोर थे, और उनके लिए क्लास आयोजित करना शुरू कर दिया.


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टाइम्स ऑफ इंडिया को एकेडमिक्स डीन कन्नन अय्यर, ने कहा, "उनकी प्रोफिशिएंसी के लेवल के आधार पर, क्लास को बिगनर्स, इंटरमीडिएट और एंडवांस्ड ग्रुप में बांटा गया. लगभग 60% छात्र बिगनर्स ग्रुप में थे. जबकि उन्हें बेसिक ग्रामर और कन्वर्सेशनल इंग्लिश पढ़ाई जाएगी, एडवांस कैटेगरी में उन लोगों को अंग्रेजी लिटरेचर दिया जाएगा . यह एक पहल है जिसे हमने अभी शुरू किया है, और उम्मीद है कि जल्द ही रिजल्ट देखने को मिलेंगे.'


जब आईआईटी-जम्मू डीन ने एक सम्मेलन - पैन-आईआईटी वर्ल्ड ऑफ टेक्नोलॉजी - में आईआईटी निदेशकों के मंच पर इस मुद्दे पर चर्चा की, तो उनके समकक्षों के बीच आम सहमति थी. कई निदेशकों और डीन ने कहा कि वे अपने संबंधित कैंपस में स्टूडेंट्स के लिए सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए अलग से इंतजाम कर रहे हैं.


आईआईटी-जोधपुर के डायरेक्टर प्रोफेसर सांतनु चौधरी ने कहा, "ऐसे डायग्नोस्टिक टेस्ट हैं जो लैंगुएज में स्टूडेंट्स की प्रोफिशिएंसी को समझने में मदद करेंगे. एक बार जब स्टूडेंट कैंपस में एंटर करते हैं, तो हम उन्हें टेस्ट और फिर जरूरी ट्रेनिंग प्रदान करते हैं, विशेष रूप से सुनने और पढ़ने की समझ में." पहले साल के दौरान, हम हिंदी में मैटेरियल प्रदान करते हैं, वीडियो लेक्चर के लिए हिंदी सबटाइटल सुनिश्चित करते हैं, और लैब मैनुअल और पेपर के कुछ हिस्से हिंदी में देते हैं. हिंदी में डिसक्शन करने के लिए फेकल्टी के टाइम को ब्लॉक करने का भी प्रावधान है. समस्या यह है कि हम केवल एक या दो भाषाओं को ही पूरा कर सकते हैं."