Importance of Indias National Anthem: 27 दिसंबर, 1911 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार राष्ट्रगान गाया गया था. 'जन गण मन' नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित बंगाली हेम'भरोतो भाग्य बिधाता' का पहला छंद है. गीत का थोड़ा अलग वर्जन 1941 में सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना द्वारा राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया, जिसे 'शुभ सुख चैन' कहा गया, जो तब से भारत में भी पॉपुलर हो गया. 15 अगस्त, 1947 को, जब भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया, तो आईएनए के कैप्टन ठाकुरी, जिन्होंने 'शुभ सुख चैन' वर्जन को म्यूजिक दिया था, इसमें अपने ऑर्केस्ट्रा ग्रुप के मेंबर्स के साथ प्ले किया था.


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'जन गण मन' को भारत की संविधान सभा द्वारा अपने लास्ट सेशन के आखिरी दिन 24 जनवरी 1950 को देश के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था. विधानसभा के अध्यक्ष और बाद में दो फुल टर्म के लिए भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भी उस दिन 'वंदे मातरम' को राष्ट्रीय गीत घोषित किया था.


राष्ट्रगान के प्रति सम्मान भारत में एक मौलिक कर्तव्य है. संविधान के अनुच्छेद 51A (a) के मुताबिक: "भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करें और इसके आदर्शों और संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करें."


रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी बनीं. 'आमार सोनार बांग्ला', बांग्लादेशी गान, 1905 में अंग्रेजों द्वारा बंगाल के विभाजन के विरोध में लिखा गया था. आनंद समरकून द्वारा लिखित श्रीलंका का "श्रीलंका मठ" भी टैगोर से प्रभावित था. कुछ लोग मानते हैं कि टैगोर ने इसे पूरा लिखा था.


"दक्षिण एशिया उन देशों के कुछ ग्रुप्स में से एक है जहां सभी राष्ट्रगान गैर-सैन्यवादी हैं. यह कोई संयोग नहीं है कि इनमें से तीन राष्ट्रगान - भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका - एक ही कवि, रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए हैं."