JNU Students Union: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि छात्र संघ के चुनाव, जो आखिरी बार 2019 में हुए थे, पीएचडी कोर्सेज के शुरू होने के छह से आठ सप्ताह बाद होंगे, जो 2 फरवरी से शुरू होने वाले हैं.


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एक आधिकारिक नोटिस में, विश्वविद्यालय ने कहा कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र निकाय चुनावों पर लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा. नोटिस में कहा गया है, "हम निष्पक्ष और व्यवस्थित चुनाव सुनिश्चित करने में सभी छात्रों से सहयोग का अनुरोध करते हैं. ऑफिस ऑफ द डीन ऑफ स्टूडेंट्स से डिटेल गाइडलाइन उचित समय पर शेयर किए जाएंगे." जेएनयूएसयू चुनाव आखिरी बार चार साल पहले हुए थे, जब एसएफआई की आइशी घोष एबीवीपी के मनीष जांगिड़ को हराकर अध्यक्ष चुनी गईं थीं.


यह घोषणा 30 जनवरी को हड़ताल के आह्वान के बाद की गई है. मौजूदा यूनियन ने कुलपति शांतिश्री डी पंडित को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें जेएनयूएसयू चुनाव कराने और चीफ प्रॉक्टर ऑफिस मैनुअल को रद्द करने की मांग की गई. जवाब में, पंडित ने कहा कि लंबित कानूनी मामलों के कारण वर्तमान में जेएनयू में आधिकारिक तौर पर अधिसूचित छात्र संघ का अभाव है, लेकिन लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुरूप चुनाव होंगे. समिति के मुताबिक शैक्षणिक सत्र शुरू होने के छह से आठ सप्ताह के भीतर चुनाव करा लिये जाने चाहिए. पंडित ने कहा कि पीएचडी दाखिले में देरी के कारण समय सीमा आगे बढ़ गई है.


जेएनयूएसयू ने एक बयान जारी कर प्रशासन के फैसले पर संतुष्टि जताई. बयान में कहा गया है, "ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह सर्कुलर ऐसे समय आया है जब कुछ घंटे पहले ही जेएनयूएसयू ने जेएनयू प्रशासन को अंतिम ज्ञापन सौंपा था और 30 जनवरी को पूर्ण विश्वविद्यालय हड़ताल और प्रशासन के साथ पूरा असहयोग आंदोलन का आह्वान किया था."