How to Know Which Coach has Chain Pulled: आपातकालीन स्थिति में चलती ट्रेन को रोकने के लिए ट्रेन की बोगी में चेन खींचने की सुविधा दी गई है. बिना किसी आपात्काल के इसका इस्तेमाल करना कानूनन अपराध है और इसके लिए रेलवे एक्ट की धाराओं के तहत सजा और जुर्माने का प्रावधान है. रेलवे की ओर से इमरजेंसी चेन पुलिंग न करने की सलाह दी जाती है, लेकिन अक्सर कुछ लोग इसका पालन नहीं करते हैं.


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ट्रेन का स्टॉपेज न होने के बावजूद कुछ लोग अपने स्टेशन से पहले ही चेन पुलिंग कर देते हैं और उतरकर भाग जाना चाहते हैं. रेलवे पुलिस इन स्थितियों को लेकर सतर्क रहती है और बेवजह ट्रेन रुकते ही चेन खींचने वाले को पकड़ लेती है. अब सवाल यह है कि पुलिस को कैसे पता चलता है कि किस बोगी में चेन खींची गई है?


हालांकि, सबसे पहले जानिए कि चेन खींचने पर ट्रेन कैसे रुकती है यानी ब्रेक कैसे लगता है? दरअसल, ट्रेन के ब्रेक अक्सर लगे रहते हैं. जब ट्रेन चलानी होती है तो ब्रेक हटा दिया जाता है और ट्रेन आगे बढ़ जाती है. वहीं, जब चेन पुलिंग की जाती है, तो वाल्व में दिए गए चेक के माध्यम से ब्रेक पाइप से हवा का दबाव निकलता है और ट्रेन में ब्रेक लगाया जाता है. फिर ड्राइवर ट्रेन रोकता है और ब्रेक लगने के कारणों की जांच करता है.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रेन के कोच यानी डिब्बे तीन तरह के होते हैं. वैक्यूम ब्रेक कम्पार्टमेंट, ICF डिजाइन एयरब्रेक कम्पार्टमेंट और LHV डिजाइन एयरब्रेक कम्पार्टमेंट. आइए पहले वैक्यूम ब्रेक कम्पार्टमेंट के बारे में बात करते हैं. इसमें चेन खींचने पर बॉक्स के ऊपर एक कोने में एक वाल्व घूमता है. ड्राइवर, असिस्टेंट, गार्ड या रेलवे पुलिस इस घूमते वॉल्व को देखकर समझ जाते हैं कि इस बोगी में ही चेन खींची गई है.


इसी सिस्टम का उपयोग ICF डिजाइन एयरब्रेक कम्पार्टमेंट में भी किया जाता है. यहां एकमात्र बदलाव यह था कि रॉड या तार की रस्सी को ऊपर के वाल्व से लटका दिया गया था, ताकि बॉक्स पर चढ़े बिना इसे नीचे से खींचकर रीसेट किया जा सके. एलएचवी कोच में कई बदलाव हुए. अब कोच के बाहर से कुछ भी करने की जरूरत नहीं है. अगर चेन को किसी बॉक्स से खींचा जाता है, तो अलार्म चेन लाइट, जो बॉक्स के दोनों ओर होती है, वह जल जाती है. इससे गार्ड या रेलवे पुलिस को पता चल जाता है कि इस डिब्बे से चेन खींची गई है.