UPSC Success Story: पढ़ाई करके जब घर के बच्चे बड़े होते हैं और फिर अफसर बन जाते हैं तो सबका सिर ऊंचा हो जाता है. एक साथ घर के 2 बच्चे यूपीएससी की परीक्षा पास करें तो उस घर का महौल कितना शानदार होगा. ऐसा ही हुआ था आईएएस टीना डाबी के बैच में. टीना डाबी के बैच में हरियाणा के भाई बहन का सेलेक्शन हुआ था जिनकी स्टोरी आज हम आपको बताने जा रहे हैं.


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पानीपत जिले के शहरमलपुर गांव की शालिनी दूहन और उनके भाई आलेख दूहन ने सिविल सेवा परीक्षा में 21वीं और 483वीं रैंक हासिल की थी. इनके पिता सुमेर सिंह सीआईएसएफ में हेड कांस्टेबल और मां सुनीता मछरौली के सरकारी स्कूल में हेड मास्टर हैं. शालिनी दूहन ने एसएससी की परीक्षा पास कर कुछ महीनों तक एक्साइज इंस्पेक्टर की नौकरी भी की, लेकिन जिद थी कि आईएएस ही बनना है. उन्होंने 2013 में अपने पहले प्रयास में 190 वीं रैंक के साथ इस परीक्षा को पास किया लेकिन उन्होंने आईएएस में आने के लिए अपनी रैंक में सुधार के अपने प्रयासों को जारी रखा. उन्होंने 2014 में फिर से 100वें स्थान के साथ यूपीएससी की परीक्षा पास की और आईपीएस के लिए चुनी गईं. इसके बाद 2015 में फिर से परीक्षा दी और आईएएस अधिकारी बनने के अपने सपने को साकार करने के लिए 21 वीं रैंक हासिल की. 


शहरमलपुर गांव में प्रारंभिक स्कूली शिक्षा के बाद, उनका दाखिला गन्नौर (सोनीपत) के एक प्रमुख स्कूल में हुआ. उन्होंने मुरथल में दीनबंधु छोटू राम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में बायोमेडिकल विज्ञान की पढ़ाई की. शालिनी के भाई आलेख दूहन ने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की. आलेख ने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बी.टेक (मैकेनिकल) किया हैं. दोनों ने परीक्षा में सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है. शालिनी और आलेख ने पीए एडमिनिस्ट्रेशन दोनों का ऑप्शन सब्जेक्ट था.


शालिनी कहती हैं कि लक्ष्य निर्धारित कर अपनी क्षमता के अनुसार कमियों को पहचान कर मेहनत करनी चाहिए. प्रारंभिक परीक्षा के समय से ही मुख्य परीक्षा की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. मॉक टेस्ट का अभ्यास करना चाहिए. अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट, जिले, प्रदेश, रुचि से संबंधित चीजों के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा कर उसका अभ्यास करना चाहिए. एनसीईआरटी की किताबों का कोई विकल्प नहीं है.


बेसिक जानकारी के लिए यह सभी के लिए जरूरी है. साथ ही, निबंध के लिए अलग से अभ्यास करना चाहिए. पढ़ाई के बाद रिवीजन बहुत जरूरी है. स्वयं की पढ़ाई और रिवीजन के बगैर नई चीजों को ध्यान में रखना संभव नहीं है. प्रारंभिक, मुख्य और इंटरव्यू में बहुत अंतर होने से लोगों को सामान्य तरह से तैयारी नहीं करनी चाहिए.


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