PCS Success Story: प्रशासनिक काम से लेकर रैंप वॉक तक है इस PCS अफसर का जलवा, जीत चुकी हैं मिसेज इंडिया का खिताब
Motivational Story: मॉडलिंग का शौक रखने वालीं ऋतु सुहास फिलहाल गाजियाबाद में एडीएम प्रशासन के पद पर हैं. यहां आने से पहले वह लखनऊ विकास प्राधिकरण में तैनात थीं और वहां रहते हुए इन्होंने फिया मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण पर कार्रवाई करके खूब सुर्खियां बटोरी थीं.
PCS Ritu Suhas Success Story: आईएएस और पीसीएस अफसरों को लेकर माना जाता है कि वह सिर्फ पढ़ना जानते हैं. पढ़ाई के अलावा वे कुछ नहीं करते. पढ़ाई और मेहनत की वजह से ही वे इस मुकाम तक पहुंचते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. ऐसे कई आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अफसर मौजूद हैं जो अपने प्रोफेशन के अलावा दूसरे फील्ड में भी अपनी प्रतिभा का परचम लहरा चुके हैं. आज हम आपको मिलवाएंगे ऐसी ही एक मल्टीटैलेंटेड पीसीएस अफसर ऋतु सुहास से.
क्या है ऋतु सुहास की पहचान
ऋतु सुहास अभी गाजियाबाद में एडीएम प्रशासन के पद पर तैनात हैं. यहां आने से पहले वह लखनऊ विकास प्राधिकरण में तैनात थीं. ऋतु सुहास 2004 बैच की पीसीएस अधिकारी हैं. इनके पति यूपी कैडर के आईएएस सुहास एलवाई हैं, जो अभी गौतमबुद्ध नगर के डीएम हैं. दोनों की शादी 2008 में हुई थी और इनके 2 बच्चे हैं. ऋतु सुहास सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आईं थीं, जब इन्होंने लखनऊ विकास प्राधिकरण में रहते हुए माफिया मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण जियामऊ की दो इमारतें, ड्रैगन मॉल, रानी सल्तनत में तोड़फोड़ की थी.
रैंप पर भी रहा है ऋतु का जलवा
आपको जानकर हैरानी होगी कि ऋतु सुहास मॉडलिंग में भी अपना दबदबा कायम कर चुकी हैं. ऋतु 2019 में मुंबई में हुई मिसेज इंडिया-2019 का खिताब अपने नाम कर चुकी हैं. उस साल हुई इस प्रतियोगिता में 20 राज्यों के 59 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था. प्रतियोगिता 6 राउंड में हुई थी और इन्होंने कॉस्ट्यूम व सवाल-जवाब सेशन में सबसे शानदार प्रदर्शन किया था. ऋतु समय-समय पर रैंप पर नजर आती हैं. इसी साल मार्च में वह उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में खादी को बढ़ावा देने के लिए आयोजित फैशन शो में भी रैंप पर नजर आईं थीं.
संघर्ष से भरी है सफलता की कहानी
ऋतु सुहास बेशक आज कामयाब हैं, लेकिन यहां तक पहुंचने का रास्ता संघर्षों से भरा है. ऋतु सुहास ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने 2003 में पीसीएस की तैयारी का फैसला किया, लेकिन उनके पास कोचिंग और अखबार खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. शुरुआती दिनों में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर कुछ पैसा निकाला. इसके अलावा उन्होंने पीसीएस की तैयारी कर रही अपनी एक सहेली से नोट्स मांग-मांगकर इसकी तैयारी की और कामयाबी हासिल की. जब उन्होंने घर से बाहर जाकर पढ़ने का फैसला किया तो घरवाले भी नाराज हुए थे.
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