IAS Arpit Gupta Success Story: अक्सर महान व्यक्ति की सफलता के पीछे उसके अथक संघर्ष का कहानी छिपी होती है, जो दूसरों को कुछ बेहतर करने की सीख देती है और आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करती है. आज सफलता की कहानी में पढ़िए एक शख्स की कहानी, जिसने अपने नॉलेज और तकलीफों को अपनी ताकत बनाकर कामयाबी की नई इबारत लिखी. अर्पित की कहानी की शुरुआत ही एक बड़ी असफलता से होती है. हम भी तो असफल होने पर अपनी किस्मत को कोसते बैठ जाते हैं, लेकिन अर्पित ने हार नहीं मानी. 


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यूपी में सीएम सिटी के रहने वाले हैं अर्पित
आईएएस अर्पित के मुताबिक कोई भी हार हमारी किस्मत की नहीं, बल्कि हमारी तैयारी में रह गई कमी का परिणाम होती है. उत्तर प्रदेश के रहने वाले अर्पित ने अपनी 8वीं तक की पढ़ाई गोरखपुर से ही पूरी की. इसके बाद उन्होंने रुड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. फिर उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली जाने का फैसला किया. साल 2020 में अर्पित ने अपना फर्स्ट अटैम्प्ट दिया. प्रीलिम्स के पहले उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई, लेकिन वह परीक्षा में बैठे. 


केवल एक नंबर से रह गए पीछे 
प्रीलिम्स जैसे-तैसे क्लियर तो कर लिया, लेकिन आगे खराब सेहत से भी बड़ी चुनौती अर्पित का इंतजार कर रही थी. मेंस परीक्षा से पहले उन्हें चिकन पॉक्स हो गया., लेकिन बुखार में तपते हुए उन्होंने मेंस दिया. जब रिजल्ट आया तो केवल एक नंबर से वह चूक गए और पहले प्रयास में इंटरव्यू राउंड तक नहीं पहुंच सके. हार का मार्जिन ज्यादा हो तो दुख थोड़ा कम होता है, लेकिन एक नंबर या कुछ पाइंट्स से मिली हार ज्यादा तकलीफ देती है. अर्पित भी इस हार से टूटे और खूब रोए. उस पर लोगों के तानों ने भी कोई कमी नहीं छोड़ी. इन सब बातों से पीछे छोड़ते हुए अर्पित ने दोबारा तैयारी शुरू कर दी. 


आखिरकार पूरा किया अपना सपना
अपने दूसरे अटैम्प्ट की तैयारी के दौरान उन्होंने अपने चचेरे भाई को खो दिया. वह कई दिनों तक भाई के गम में डूबे रहे, लेकिन उन्होंने फिर हिम्मत जुटाई और हर चुनौती का सामना करते हुए परीक्षा में शामिल हुए. अपने दूसरे प्रयास में अर्पित ने यूपीएससी की परीक्षा में क्वालिफाई किया. मात्र 24 साल की उम्र में उन्होंने यह सफलता पाई. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 54वीं रैंक  पाकर आईएएस ऑफिसर बने अर्पित ने यह साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.