UGC Asks Universities: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से शैक्षणिक साल 2021-22 और 2022-23 के दौरान हुई जाति-आधारित भेदभाव की घटनाओं पर डेटा उपलब्ध कराने को कहा है. यूजीसी ने शिक्षण संस्थानों से यह जानकारी यूनिवर्सिटी एक्टिविटी मॉनिटरिंग पोर्टल (यूएएमपी) के माध्यम से यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट ugc.ac.inluamp पर जमा करने को कहा है. विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के लिए जरूरी डिटेल जमा करने की समय सीमा 30 जून, 2023 है. इसके अलावा  आयोग ने शैक्षणिक संस्थानों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि उनके अधिकारी और संकाय सदस्य अधिक संवेदनशीलता के साथ जातिगत भेदभाव की घटनाओं को संभालें.


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"आपसे अनुरोध है कि आप अपने विश्वविद्यालय/ संस्थान के अधिकारियों/ संकाय सदस्यों को जातिगत भेदभाव की घटनाओं से निपटने के दौरान अधिक संवेदनशील होने की सलाह दें. आपसे यह भी अनुरोध है कि साल 2021-22 और 2022-23 के लिए निर्धारित प्रारूप में जानकारी प्रदान करें (कॉपी संलग्न) आईजेजीसी के यूनिवर्सिटी एक्टिविटी मॉनिटरिंग पोर्टल (यूएएमपी) लिंक https://ugc.ac.inluamp/ पर जल्द से जल्द और 30 जून 2023 से पहले, यूजीसी के आधिकारिक नोटिस में लिखा है.


यूजीसी के मुताबिक, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को निम्नलिखित उपायों का पालन करना आवश्यक है.


अधिकारियों और संकाय सदस्यों को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के स्टूडेंट्स के खिलाफ उनकी सामाजिक उत्पत्ति के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव से बचना चाहिए.


विश्वविद्यालयों, संस्थानों और कॉलेजों को एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के स्टूडेंट्स के लिए जातिगत भेदभाव के संबंध में शिकायत दर्ज करने के लिए अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर एक समर्पित वेबपेज बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इसके अलावा इस उद्देश्य के लिए रजिस्ट्रार और प्रिंसिपल के कार्यालय में एक शिकायत रजिस्टर रखा जाना चाहिए. यदि भेदभाव का कोई मामला अधिकारियों के ध्यान में लाया जाता है, तो जिम्मेदार अधिकारी या संकाय सदस्य के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए.


विश्वविद्यालय और उसके घटक या संबद्ध कॉलेजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी अधिकारी या संकाय सदस्य किसी भी समुदाय या स्टूडेंट की कैटेगरी के खिलाफ किसी भी प्रकार का भेदभाव न करें.


विश्वविद्यालय को एससी, एसटी और ओबीसी स्टूडेंट्स, साथ ही शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों द्वारा दर्ज भेदभाव की शिकायतों के समाधान के लिए एक समिति स्थापित करने की सलाह दी जाती है. उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए समिति में एससी, एसटी और ओबीसी कैटेगरी के सदस्यों को शामिल किया जाना चाहिए.