UP में 1992 में 12वीं का 14% तो 10वीं का 30 फीसदी रहा था रिजल्ट, तब भी आया था नकल पर अध्यादेश
Anti Coping Act: यह अध्यादेश जब लागू हुआ तो स्टूडेंट्स में सन्नाटा सा छा गया और कई स्टूडेंट्स ने एग्जाम छोड़ दिए. और जो एग्जाम देने गए उन्होंने नकल करने का सोचा भी नहीं.
UP cheating ordinance: पब्लिक एग्जामिनेशन बिल पास हो गया है. कंपटीटिव एग्जाम में पेपर लीक और अनियमितताओं को रोकने के लिए मजबूत सजा का इंतजाम करता है, केंद्र सरकार ने साफ किया कि छात्र और कंपटीटिव एग्जाम देने वाले कानून के दायरे में नहीं होंगे. 'लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024' पर बहस का जवाब देते हुए, "केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार "होनहार उम्मीदवारों को संगठित अपराधों की बलि नहीं चढ़ने देगी". उन्होंने कहा कि इसके प्रावधानों से स्टूडेंट्स और नौकरी आवेदकों को नुकसान नहीं होगा.
यह पहली बार नहीं है जब ऐसा कानून लाया गया है. इससे पहले उत्तर प्रदेश में भी ऐसा हुआ था. साल था 1992, कल्याण सिंह की सरकार थी और राजनाथ सिंह शिक्षा मंत्री थे. तब नकल रोकने के लिए एक अध्यादेश लाया गया था. हालांकि उसमें उन स्टूडेंट्स और कैंडिडेट्स को भी शामिल किया गया था जो नकल करते पाए गए थे. मतलब अध्यादेश में यह प्रवाधान था कि अगर कोई भी स्टूडेंट नकल करता पाया जाता है तो उसे जेल भेज दिया जाएगा.
यह अध्यादेश जब लागू हुआ तो स्टूडेंट्स में सन्नाटा सा छा गया और कई स्टूडेंट्स ने एग्जाम छोड़ दिए. और जो एग्जाम देने गए उन्होंने नकल करने का सोचा भी नहीं. इस अध्यादेश का असर रिजल्ट में साफ दिखा. 1992 में यूपी में 12वीं के सिर्फ 14 फीसदी और हाई स्कूल के 30 फीसदी स्टूडेंट ही पास हो पाए थे.
नए बिल में क्या सजा है?
यह बिल कानून बनता है तो पुलिस को बिना किसी वारंट के संदिग्धों को गिरफ्तार करने का अधिकार होगा. ये बिल ऑर्गेनाइज्ड गैंग्स, माफिया और इस तरह के कामों में लगे हुए लोगों से निपटने के लिए लाया गया है. अगर किसी गड़बड़ी में एग्जाम सेंटर की भूमिका पाई जाती है तो उस सेंटर को 4 साल के लिए सस्पेंड किया जाएगा. इसके अलावा परीक्षा में गड़बड़ी कराने में मिलीभगत पाए जाने पर सेंट्रल एजेंसी पर भी 1 करोड़ तक का जुर्माना लगेगा. बिल में जेल की सजा का भी प्रावधान है.