तीसरे और अंतिम चरण के लिए एक अक्टूबर को सुबह करीब सात बजे से जम्मू-कश्मीर में मतदान शुरू हुआ. अंतिम चरण में 40 सीटों पर लगभग 39 लाख से ज्यादा मतदाता करीब 5,060 मतदान केंद्रों पर अपना मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिसमें जम्मू की 24 और कश्मीर की 16 विधानसभा सीटें पर वोट डाले जा रहे हैं. इस चुनाव में अहम बात यह है कि पहली बार वाल्मीकि समुदाय इस चुनाव में मतदान कर रहा है.


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मतदान के अधिकार से वंचित थे


लंबे समय से मतदान करने के अधिकार से वंचित वाल्मीकि समुदाय के सदस्यों ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने इसे ‘‘ऐतिहासिक क्षण” बताया. वाल्मीकि समुदाय के लोगों को मूल रूप से 1957 में पंजाब के गुरदासपुर जिले से राज्य सरकार द्वारा सफाई कार्य के लिए जम्मू-कश्मीर लाया गया था.


त्योहार से कम नहीं


जम्मू के एक मतदान केंद्र पर वोट डालने वाले घारू भाटी ने कहा, ‘मैं 45 साल की उम्र में पहली बार मतदान कर रहा हूं.' उन्होंने कहा कि हम लोग जीवन में पहली बार बार जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में भाग लेने को लेकर रोमांचित और उत्साह से भरे हुए हैं. यह हमारे लिए किसी त्योहार से कब नहीं है.


 वहीं अपने समुदाय के लिए नागरिकता का अधिकार सुनिश्चित करने को लेकर 15 वर्षों से अधिक समय तक इन प्रयासों का नेतृत्व करने वाले भाटी ने कहा, ‘‘यह पूरे वाल्मीकि समुदाय के लिए एक त्योहार है. हमारे पास 80 वर्ष की आयु  से लेकर 18 वर्ष की आयु के मतदाता हैं. हमसे पहले की दो पीढ़ियों को इस अधिकार से वंचित रखा गया था, लेकिन जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया तो न्याय की जीत हुई और हमें जम्मू-कश्मीर की नागरिकता प्रदान की गई.’’ उन्होंने कहा, ‘‘दशकों से सफाई कार्य के लिए यहां लाए गए हमारे समुदाय को वोट देने के अधिकार और जम्मू-कश्मीर की नागरिकता सहित बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया था. यह पूरे वाल्मीकि समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है. ’’


बताते हैं कि पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों और गोरखा समुदायों के साथ वाल्मीकि समुदाय के लोगों की संख्या करीब 1.5 लाख है.  वे जम्मू, सांबा और कठुआ जिलों के अलग-अलग हिस्सों, खासकर सीमावर्ती इलाकों में रहते हैं. भाटी ने कहा, ‘‘आज हम मतदान कर रहे हैं. कल हम अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे. यह हमारे जीवन में एक नए युग की शुरुआत है. हम अपने मुद्दों को विधानसभा में ले जाएंगे. कल्पना कीजिए कि वाल्मीकि समुदाय के सदस्य जो कभी केवल मैला ढोना ही अपना भाग्य समझता था, आज वह विधायक या मंत्री बनने की आकांक्षा रखता है. जो कि बड़े बदलाव की निशानी है.


बताते दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण यानी आज 40 सीटों पर सुबह करीब सात बजे से ही मतदान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ मतदान शुरू हुआ. मतदान केंद्र के बाहर लंबी कतारें दिखी. जबकि शुरुआत से लेकर 11 बजे तक 28.1 प्रतिशत मतदान हुआ है. (भाषा)