Bhagalpur Lok Sabha Chunav Result 2024: कभी शाहनवाज हुसैन, कभी अश्विनी चौबे तो कभी निशिकांत दूबे. बिहार की हॉट सीटों में शुमार भागलपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी के कई नेताओं के नामों की चर्चा हो रही थी, लेकिन NDA में हुए सीट बंटवारे में ये सीट जेडीयू के खाते में गई और सारी चर्चाओं पर विराम लग गया. 


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पिछले आम चुनाव में भागलपुर लोकसभा सीट से जेडीयू के टिकट पर जीत हासिल कर अजय कुमार मंडल सांसद बने थे. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तय शेड्यूल के मुताबिक, यहां दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होने वाला है. 


सिल्‍क सिटी भागलपुर पर सभी सियासी दलों की नजर


सिल्‍क सिटी के नाम से मशहूर भागलपुर लोकसभा सीट पर सभी राजनीतिक दलों की नजर रहती है. भागलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें भागलपुर, गोपालपुर, बिहपुर, पीरपैंती, सुल्‍तानगंज, नाथनगर और कहलगांव शामिल है. भागलपुर बिहार के सबसे पुराने जिलों में से एक है. साल 1952 में भागलपुर लोकसभा सीट अस्तित्व में आई और लंबे समय तक कांग्रेस का दबदबा रहा. 


भागलपुर सीट का सियासी और जातीय समीकरण 


NDA में ये सीट जेडीयू के खाते में गई है और संभव है कि निवर्तमान सांसद अजय कुमार मंडल को ही उतारा जाए. आमतौर पर यहां पिछड़ा वर्ग के कुर्मी-कोयरी वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं. जातीय समीकरणों की बातत करें तो मुस्लिम, यादव और ब्राह्मण वोटर्स की संख्या भी ज्यादा है, जबकि ओबीसी और एससी-एसटी वोटर्स का भी अहम रोल रहता है.  भागलपुर में कुल वोटर्स की संख्‍या करीब 18,23,820 है. इनमें 9,66,745 पुरुष वोटर्स हैं, जबकि महिला वोटर्स की संख्‍या करीब 8,57,000 है. 


भागलपुर लोकसभा का चुनावी इतिहास 


भागलपुर लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास की बात करें तो यहां शुरू से कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था. 1952 के चुनाव में कांग्रेस के अनूप लाल मेहता जीत कर सांसद बने थे, जबकि 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस के बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला विजयी रहे. 1967 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर ही भागवत झा आजाद चुनाव जीतकर आए. 


आपातकाल के बाद साल 1977 के चुनाव में जनता पार्टी से रामजी सिंह जीते. फिर 1980 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर भागवत झा आजाद चुनाव जीते. 1989 से लेकर 1996 तक जनता दल के चुनचुन प्रसाद यादव सांसद रहे. 1998 में बीजेपी के प्रभाष चंद्र तिवारी चुनाव जीते. 


1999 के चुनाव में यह सीट लेफ्ट पार्टी जीत गई. भाकपा के सुबोध राय चुनाव जीत कर सांसद बने. हालांकि 2004 में एक बार फिर बीजेपी चुनाव जीती. सुशील कुमार मोदी जीत हासिल कर सांसद बने. 2009 में बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने यहां से जीत दर्ज की. वहीं, 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन चुनाव हार गए. बिहपुर से विधायक रह चुके शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल यहां से जीत कर सांसद बने. 


भागलपुर में पिछले आम चुनाव का हाल 


2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 9 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. जेडीयू के अजय कुमार मंडल ने चुनाव में जीत दर्ज की और सांसद बने. अजय मंडल को 6,18,254 वोट मिले थे, जबकि आरजेडी के शैलेश कुमार 3,40,624 वोटों के साथ दूसरे नंबर रहे थे. तीसरे नंबर पर 9,620 वोटों के साथ नूरुल्लाह थे. इस सीट पर मोहम्मद आशिक इब्राहिमी ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और 9,572 वोटों के साथ चौथे नंबर पर रहे थे. 


क्या है भागलपुर जिला और लोकसभा क्षेत्र की खासियतें?


भागलपुर जिला अपने अंदर इतिहास की कहानियों को समेटे हुआ है. महाभारत काल में यह राजा कर्ण के अंग प्रदेश का हिस्‍सा चंपानगर हुआ करता था. कहा जाता है कि महात्मा बुद्ध का भी यहां आगमन हुआ. गंगा नदी के किनारे बसे भागलपुर को ‘सिल्क सिटी’ भी कहा जाता है, जो सिल्‍क के तसर किस्म के लिए जाना जाता है. 2569 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जिले की आबादी 3,037,766 है. वहीं जिले में 16 प्रखंड आते हैं और करीब 1515 गांव आते हैं. गंगा नदी के किनारे बसे इस जिले में मकई, धान और गेहूं की खेती खूब होती है. वहीं केला भी खूब उगाया जाता है. 


भागलपुर का धार्मिक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक पहचान


कहलगांव के अंतीचक गांव के पास स्थित प्राचीन विक्रमशिला विश्वविद्यालय यहां की पहचान है, जो नालंदा विश्‍वविद्यालय की तरह महत्‍व रखता है. भागलपुर में चम्पापुर दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र भी है और महर्षि मेंही दास का आश्रम कुप्‍पाघाट भी है. सावन महीने में झारखंड के प्रसिद्ध बाबा वैद्यनाथ धाम के लिए कांवड़ यात्रा की शुरुआत भागलपुर के सुल्‍तानगंज से ही होती है. आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी तिलका मांझी यहीं जन्मे थे. उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था.