Lok Sabha Chunav 2024: चाहकर भी नहीं छूट रहा `संसद प्रेम`, खुद नहीं लड़ सकते चुनाव तो पत्नियों को रण में उतारा
Lok Sabha Chunav 2024 News: देश में लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है. ऐसे में बिहार के बाहुबलियों से भी `संसद प्रेम` छूट नहीं पा रहा है. सजायाफ्ता होने की वजह से वे खुद चुनाव नहीं लड़ सकते तो उन्होंने अपनी पत्नियों को रण में उतार दिया है.
Bihar Lok Sabha Chunav 2024: कहते हैं कि राजनीति एक ऐसा चस्का है, जो एक बार लग जाए तो जल्दी से छूटता नहीं है. ऐसा ही कुछ हाल बिहार में कई 'बाहुबली' माननीयों का भी हो रहा है. माफिया से नेता बने ये 'माननीय' कई मामलों में कोर्ट से दोषी करार दिए जा चुके हैं, जिसके चलते वे खुद चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. वहीं के दामन इतने दागदार दामन हैं कि पार्टियां उन्हें टिकट देने से हिचक रही हैं. लेकिन इस नादान दिल का क्या करें, जो कि राजनीति किए बिना मानता ही नहीं. पूरे देश में लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है और वे इस पर्व का जश्न मनाने में पीछे रह जाएं, ऐसा हो ही नहीं सकता. लिहाजा अब उन्होंने अपने अरमान पूरे करने का दूसरा रास्ता निकाल लिया है. उन 'माननीय' नेताओं ने खुद टिकट न मिलने पर बड़ी पार्टियों के टिकट पर अब अपनी पत्नियों को चुनाव मैदान में उतार दिया है. हालांकि सब जानते हैं कि पत्नी चाहे जीते या हारे, असली राजनीति वही 'माननीय' ही करेंगे. आइए आज हम बिहार के ऐसे ही 4 'बाहुबली' नेताओं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.
अनीता देवी, मुंगेर
अनीता कुमार नवादा के बाहुबली अशोक महतो की पत्नी हैं. नवादा जेल ब्रेक कांड में महतो पिछले 17 साल से जेल में बंद था. पिछले साल उसे जेल से रिहाई मिली. इसके बाद उसके मन में राजनेता बनने की हूक उठ गई. उसने लालू यादव से टिकट के बारे में बात की. लालू ने उसे टिकट देने का आश्वासन दे दिया लेकिन शर्त भी रख दी. उससे कहा कि चूंकि वह सजायाफ्ता घोषित है, इसलिए चाहकर भी खुद चुनाव नहीं लड़ सकता. लिहाजा अगर वह शादी कर लेता है तो उसकी पत्नी को आरजेडी सिंबल पर चुनाव लड़ाया जा सकता है.
अशोक महतो को यह तरकीब पसंद आ गई और उसने खरमास के बावजूद इसी साल 46 साल की अनीता देवी से शादी कर ली. इसके बाद लालू यादव ने अपना वादा निभाते हुए अनीता देवी को मुंगेर लोकसभा सीट से आरजेडी का उम्मीदवार घोषित कर दिया. इस सीट पर अनीता का मुकाबला जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता लल्लन सिंह से होगा. टिकट मिलते ही अशोक महतो अपने पूरे दल- बल के साथ पत्नी के चुनाव प्रचार में जुट गया है.
बीमा भारती, पूर्णिया
अवधेश मंडल बिहार का कुख्यात अपराधी रहा है. उस पर मर्डर, अपहरण, फिरौती, मारपीट और घायल करने के दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं. अपने दागदार दामन की वजह से बिहार की पार्टियां उसे सीधे टिकट देने से परहेज करती रही हैं. हालांकि उसकी पत्नी बीमा भारती को टिकट देकर उसे उपकृत जरूर करती रही हैं. बीमा भारती 5 बार विधायक रह चुकी हैं. उन्होंने पिछला असेंबली चुनाव जेडीयू से जीता लेकिन लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बाद वे आरजेडी में शामिल हो गई.
आरजेडी ने भी बीमा भारती को हाथोंहाथ लिया और उसे पूर्णिया से टिकट दे दिया. इस सीट से कांग्रेस नेता पप्पू यादव चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने आखिर वक्त तक टिकट के लिए जोर लगाया और कहा कि वे इस सीट को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे. लेकिन बाद में उन्हें अपना दावा वापस लेना ही पड़ गया. अब बीमा भारती इस सीट पर महागठबंधन से चुनाव मैदान में हैं.
विजयलक्ष्मी देवी, सिवान
बिहार का सिवान जिला बाहुबली माफिया शहाबुद्दीन का गढ़ रहा है. लेकिन कोरोना काल में उसकी तिहाड़ जेल में बीमारी से मौत हो गई थी. हालांकि उसकी मौत के बाद भी वहां माफिया- गुंडों का अंत नहीं हुआ. अब वहां पर बाहुबली नेता रमेश सिंह कुशवाहा का टेरर है. पूर्व विधायक रह चुका कुशवाह शिवजी दुबे हत्याकांड का मुख्य आरोपी है. उस पर अपहरण, हत्या समेत कई अन्य आरोप भी है.
लेकिन राजनीति का चस्का उसे भी जबरदस्त है. उसने सीएम नीतीश कुमार से अपनी पत्नी विजयलक्ष्मी देवी के टिकट की बात चलाई. सुशासन बाबू बाहुबली की मांग पर पिघल गए और सिवान सीट से पार्टी उम्मीदवार घोषित कर दिया है. मजे की बात ये है कि इस सीट पर फिलहाल कविता सिंह जेडीयू सांसद हैं. वे बाहुबली अजय सिंह की पत्नी हैं. लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने एक बाहुबली की पत्नी का टिकट काटकर दूसरे बाहुबली की पत्नी को कैंडिडेट बनाया है.
लवली आनंद, शिवहर
वर्ष 1994 में गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या में 16 साल जेल की सजा काटने के बाद माफिया लवली आनंद पिछले साल जेल से रिहा हुआ था. उसकी रिहाई में बिहार के सीएम नीतीश कुमार का बड़ा हाथ रहा, जिन्होंने जेल नियमावली में बदलाव कर लवली को जेल से बाहर निकालने का रास्ता साफ कर दिया. जेल जाने से पहले आनंदन मोहन शिवहर लोकसभा सीट से 1996 और 1998 में 2 बार सांसद रह चुका था.
लिहाजा जैसे ही वह जेल से बाहर आया, उसमें नेतागिरी का दोबारा से मोह जाग गया. चूंकि कोर्ट से दोषी करार होने की वजह से आनंद मोहन खुद चुनाव नहीं लड़ सकता था, इसलिए उन्होंने नीतीश कुमार से बात करके अपनी पत्नी लवली आनंद को शिवहर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनवा दिया है. मजे की बात ये है कि लवली आनंद ने 2019 में भी RJD टिकट पर इसी सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गई थी. इस बार उन्होंने पार्टी बदली और जेडीयू से उम्मीदवार बन गई.