Lok Sabha Chunav 2024: आजकल बीजेपी के 400 के आकंड़े की चर्चा जोरों पर है। विपक्ष भी कहीं ना कहीं, पीएम मोदी के टारगेट को लेकर घबराया हुआ है. इस बार 2024 के आम चुनाव में बीजेपी ने 400 सीटें हासिल करने का लक्ष्य रखा है. अयोध्या से असम तक इस जादुई आंकड़े को हासिल करने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जुट गए हैं. ऐसे में जिन मुस्लिम समाज के वोटों पर अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, लालू यादव और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता अपना हक जमाते आए हैं. उसे बीजेपी अपने पाले में करने की कोशिश में जुट चुकी है. तो चलिए बताते हैं कि बीजेपी ने मुस्लिम समाज के सबसे ज्यादा वंचित समुदाय यानी पसमांदा मुसलमान को लेकर अपनी रणनीति को कैसे एक कदम और आगे बढ़ा दिया है.


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पसमांदा मुसलमान BJP को जिताएंगे 400 सीट?


एक तरफ अयोध्या में रामलला के विराजमान होने के बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कामाख्या कोरिडर का शिलान्यास कर सनातन धर्म की नई नीव रखी. वहीं, दूसरी ओर यूपी में पसमांदा मुसलमानों की पसमांदा पंचायत का शुभारंभ हुआ है. पीएम मोदी पसमांदा मुसलमानों के उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत हैं. पीएम मोदी ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि आजादी के बाद से देश की पिछली सरकारों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए आस्था के महत्व को नजरअंदाज किया.


साफ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 में 400 सीटों के आंकड़े को पार करने के लिए भारतीय संस्कृति और अतीत में हुए नजरअंदाजी को फिर से महत्व देना चाहते हैं. इसलिए, समावेशी भारत की पहचान को आगे बढ़ाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है. इसी प्रयास की एक ओर कड़ी आज यूपी से जुड़ती दिखाई दी, जब लोकसभा की 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में पसमांदा मुसलमानों की पंचायत का शुभारंभ हुआ है. खास बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी पसमांदा मुसलानों की बात लगातार कर रही है.


PM मोदी को भेजी जाएगी पसमांदा मुसलमानों की रिपोर्ट


उत्तर प्रदेश में यूपी सरकार के मंत्री भी पसमांदा पंचायत की बैठक में शामिल हुए हैं. यूपी सरकार अब पसमांदा मुसलमानों की एक रिपोर्ट तैयार कर रही है जिसे पीएम मोदी को एक महीने में भेजा जाएगा. इस रिपोर्ट में पसमांदा मुसलमानों के मन की बात होगी. अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया कि 15 मार्च को राजधानी लखनऊ के जीपीओ से प्रधानमंत्री मोदी को रिपोर्ट भेजी जाएगी. ये बात भी ध्यान देने की है किप्रधानमंत्री मोदी पसमांदा मुस्लिमों की बदहाली का जिक्र कई बार कर चुके हैं. पीएम मोदी मानते रहे हैं कि पसमांदा मुस्लिमों के साथ भेदभाव होता रहा है.


2024 के रण में पसमांदा मुसलमानों पर दाव चलने की बात करने से पहले आपको बता देते हैं कि आखिर पसमांदा मुसलमान हैं कौन? पसमांदा फारसी का शब्द है. इसका मतलब पीछे छूट गए, दबाए या सताए हुए लोग हैं. भारत में मुस्लिम समाज में पसमांदा मुसलमानों की आबादी 85 फीसदी हिस्से है. पसमांदा मुस्लिमों में दलित और पिछड़े समाज के मुस्लिम आते हैं. मुस्लिम समाज में पसमांदा मुसलमान अपनी अलग सामाजिक लड़ाई लड़ रहे हैं. भारत में रहने वाले मुस्लिमों में 15 फीसदी सवर्ण माने जाते हैं. इनको अशरफ कहा जाता है, बाकी 85 फीसदी अरजाल और अजलाफ दलित व पिछड़े माने जाते हैं. मुस्लिम समाज में इनकी स्थिति बहुत खराब है. भारत में पसमांदा आंदोलन 100 साल पुराना माना जाता है. माना जाता है कि अशरफिया मुस्लिमों का देश के ज्यादातर मुस्लिम संगठनों में बोलबाला है.


लोकसभा चुनाव से पहले पसमांदा मुस्लिम पर फोकस


अब बीजेपी 2024 के चुनाव के लिए कमर कस चुकी है. पीएम मोदी काफी समय से वंचित और शोषित माने जाने वाले पसमांदा मुसलमानों का जिक्र भी कर रहे हैं. बीजेपी का फोकस 2024 लोकसभा चुनाव से पहले पसमांदा मुस्लिम पर है. पीएम मोदी इन्हें वोट बैंक की राजनीति का शिकार बता चुके हैं. पीएम मोदी ने पिछले साल 2023 में बीजेपी कार्यकर्ताओं को पसमांदा मुस्लिम के बीच जाने, तीन तलाक और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भ्रम दूर करने का संदेश भी दिया था.


राम+पसमांदा मुसलमान, बनेगा बीजेपी का काम


जाहिर है 400 प्लस का आंकड़ा पार करने के लिए बीजेपी अपनी रणनीति में राम के नाम के अलावा पसमांदा मुसलमानों पर भी जमकर तैयारी कर रहे हैं. पिछले साल अप्रैल 2023 में भी बीजेपी ने यूपी के स्थानीय चुनावों में पसमांदा मुसलमानों को टिकट दिए. जबकि, जुलाई 2023 में पसमांदा स्नेह सम्मान यात्रा की योजना भी बनाई. आकंड़ों पर नजर डालें तो चौदहवीं लोकसभा में पसमांदा पृष्ठभूमि के केवल 60 मुसलमान निर्वाचित हुए हैं. देश के 5 राज्यों यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और असम में मुस्लिम मतदाता अच्छी तादाद में हैं.


5 राज्य, 190 सीटें और मुसलमान


लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 190 सीटें इन पांच राज्यों से ही आती हैं. यूपी की कुल 80 में से 65 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद करीब 30 फीसदी है. इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता जीत-हार तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. बिहार की 40 में से करीब 15 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 15 से 70 फीसदी के बीच है. पश्चिम बंगाल में 42, झारखंड और असम में लोकसभा की 14-14 सीटें हैं. यही वजह है कि बीजेपी पसमांदा मुसलानों के प्रतिनिधित्व को बढ़ा अपने 400 प्लस के मिशन को कामयाब करना चाहती है. बीजेपी अच्छे से जानती है कि पसमांदा मुसलमानों का भरोसा जीता तो ये आंकड़ा मोदी राज में मुमकिन है.