Lok Sabha Chunav News: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एक बार फिर बिहार में अपना कार्यक्रम तय किया है. इससे पहले बिहार में सबकुछ ठीक कहने के बावजूद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है. हालांकि, भाजपा और जदयू के बीच सीटों की संख्या तय होने की बात कही जा रही है. पेंच फंसने की वजह बाकी चार छोटे सहयोगी दलों को बताया जा रहा है.


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पीएम मोदी की बेतिया रैली में शामिल नहीं होंगे सीएम नीतीश कुमार, दिल्ली का कार्यक्रम


दूसरी ओर, पांच दिन में ही दूसरी बार बिहार दौरे पर आ रहे पीएम मोदी की बेतिया रैली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शामिल नहीं होने की बात कही जा रही है. बताया जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार आज शाम दिल्ली रवाना होंगे. उसके बाद उनका विदेश जाने का कार्यक्रम है. वहीं, चिराग पासवान की लोजपा रामविलास, पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोजपा, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेकुलर) के बीच लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कोई फॉर्मूला सामने नहीं आया है.


एनडीए में भाजपा-जदयू में सीट बंटवारा फाइनल, बाकी दलों के बीच आखिरी दौर में बातचीत


बिहार में  लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और जदयू के बीच लोकसभा चुनाव 2019 की तरह सीटों के बंटवारे को लेकर केसी त्याग ने दिल्ली में संकेत दिए हैं. वहीं, बाकी दलों के बीच बातचीत आखिरी दौर में है. चिराग पासवान की और पशुपति पारस के बीच सीटों को लेकर सबसे ज्यादा पेंच दिख रहा है. दोनों खुद को रामविलास पासवान का सियासी वारिस बताकर पुराने फॉर्मूले पर सीटों का दावा कर रहे हैं.


8 मार्च को भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले सीट बंटवारा फाइनल होने की उम्मीद 


बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में लोजपा को चिराग पासवान के नेतृत्व में 5.6 फीसदी वोट मिला था. हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी चिराग का अपने चाचा पारस से अनबन है. हाजीपुर सीट पर चिराग अपना हक जता रहे हैं. क्योंकि यह उनके पिता रामविलास पासवान की परंपरागत सीट हैं. फिलहाल पशुपति पारस यहां से सांसद हैं.


इसी तरह उपेंद्र कुशवाहा अपने लिए लोकसभा की दो सीटें मांग रहे हैं. जीतन राम मांझी को भी एक सीट मिलने की उम्मीद है. भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की 8 मार्च को होने से पहले सभी सहयोगी दलों को बिहार में सीट बंटवारा हो जाने की डेडलाइन बताई गई है. इस बैठक में महज एक दिन बाकी है.


बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर क्या है उलझन


लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच 28 जनवरी से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर कोई तनाव नहीं थी. नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी से उलझन बढ़ गई है. इससे पहले लोजपा के दोनों धड़ों, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी को ज्यादा सीटों की उम्मीद थी. क्योंकि भाजपा अपने 2019 की 17 सीटों को बढ़ाकर 20-25 भी करती तो साथियों के लिए काफी सीटें बच जातीं. 


अब बदली हुई सूरत में नीतीश की वापसी से 2019 वाली हालत हो गई. उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी तब एनडीए में नहीं थे. हालांकि, जदयू एक सीट पीछे हट सकती है, फिर भी साथियों की मुश्किल पूरी तरह कम होती नहीं दिखती. 


बिहार में एनडीए में सीटों के बंटवारे में देरी के पीछे भाजपा की स्ट्रैटजी क्या है


सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में भाजपा सीटों के बंटवारे में इसलिए भी देर कर रही है, ताकि सहयोगी दलों की मंशा खुलकर सामने आ जाए. इसके अलावा भाजपा में रोजाना शामिल हो रहे विपक्षी दलों के बड़े नेताओं की आवक का भी जायजा लिया जा रहा है. साथ ही भाजपा इंडिया गठबंधन के दलों कांग्रेस, राजद और लेफ्ट पार्टियों के अगले कदम का इंतजार भी कर रही है. इसके अलावा भाजपा की एक रणनीति सहयोगी दलों के सिंबल के जरिए भी अपने उम्मीदवारों को एडजस्ट करने की हो सकती है.


सब कुछ ठीक तो महा या इंडी गठबंधन में क्यों अटका है सीटों पर समझौता?


दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव में गिनती दिन बाकी रहने और गांधी मौदान में संयुक्त रैली के बावजूद इंडिया गठबंधन में भी सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है. हालांकि, राजद सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि इंडिया गठबंधन में एनडीए से पहले सीटों का बंटवारा हो जाएगा. जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के विपक्षी गठबंधन से रवानगी ने लोकसभा सीटों का बंटवारा आसान कर दिया. 


रिपोर्ट के मुताबिक बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के प्रदर्शन के आधार पर लोकसभा चुनाव 2024 में राजद अकेले 28 सीटों पर लड़ना चाहती है. बाकी में कांग्रेस और लेफ्ट को 6-6 लोकसभा सीटें देने की बात की जा रही है. दूसरे फॉर्मूले में कांग्रेस की सीटें थोड़ी बढ़ी तो लेफ्ट पार्टियों की सीटें घट सकती हैं. जबकि राजद अपनी सीटें कम नहीं करने पर अड़ा हुआ है.