Guna Lok Sabha Election 2024: सिंधिया परिवार की सीट, 5 लाख से भी अधिक वोटों से जीते ज्योतिरादित्य
Guna Lok Sabha Chunav 2024 News: गुना से अब तक 9 बार कांग्रेस, 5 बार बीजेपी, एक बार जनसंघ, एक बार स्वतंत्र पार्टी ने चुनाव जीता है. अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में चार चुनावों को छोड़ दिया जाए तो 13 बार सिंधिया परिवार को ही जीत मिली है.
Guna Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश की सबसे चर्चित सीटों में से एक पर बीजेपी ने पहले ही सिंधिया को उतार दिया है. यह सिंधिया परिवार की पारंपरिक सीट है. इस सीट से जुड़ी चुनावी कहानियां इतनी दिलचस्प हैं कि राजनीतिक गलियारों में जमकर चर्चा होती है. इसे 'महल की सीट' भी कहा जाता है. सिंधिया परिवार 1957 से इस सीट से चुनाव लड़ रहा है और ज्यादातर बार जीत हासिल की है. 2014 के लोकसभा चुनाव में देशभर में मोदी लहर थी, लेकिन गुना सीट से कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी नेता जयभान सिंह पवैया को एक लाख 20 हजार से ज्यादा मतों से हरा दिया था.
हालांकि 2019 में ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके करीबी केपी यादव ने हरा दिया था. केपी यादव बीजेपी में शामिल हुए थे और उन्हें बीजेपी ने टिकट दिया था. यह एक बड़ा उलटफेर था. लेकिन इसके बाद सिंधिया ने बड़ा उलटफेर करते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया और इस बार 2024 के चुनाव में बीजेपी ने उन्हें गुना से टिकट दे दिया.
सिंधिया.. सिंधिया और सिंधिया
1957 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने पहली बार गुना लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1967 में उन्होंने स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ा और फिर से जीत हासिल की.
1971 में माधवराव सिंधिया ने भारतीय जनसंघ (बाद में भाजपा) से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1977 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और फिर से जीते. 1980 में वे कांग्रेस के टिकट पर फिर से चुने गए.
1984 में माधवराव सिंधिया ने गुना सीट छोड़ी, तो महेंद्र सिंह कालूखेड़ा को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया. उन्होंने जीत हासिल की.
1989 से 1998 तक राजमाता विजयाराजे सिंधिया भाजपा के टिकट पर चार बार गुना से सांसद चुनी गईं.
2001 में उनके निधन के बाद माधवराव सिंधिया ने फिर से गुना सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
2002 में माधवराव सिंधिया के विमान दुर्घटना में निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
राजमाता सिंधिया: बिना प्रचार जीता चुनाव
वर्ष 1998 का लोकसभा चुनाव सिंधिया परिवार के लिए एक यादगार चुनाव था. इस चुनाव में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने इतिहास रच दिया. वे इतनी बीमार थीं कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. ऐसे में वे चुनाव प्रचार के लिए बिल्कुल भी नहीं जा सकीं. उन्होंने केवल नामांकन पत्र दाखिल किया. चुनाव परिणाम आते ही सभी लोग हैरान रह गए. राजमाता सिंधिया ने बिना प्रचार के ही चुनाव जीत लिया था. यह उनकी लोकप्रियता का ही प्रमाण था.
साल | विजयी उम्मीदवार | पार्टी |
1952 | V. G. Deshpande | Hindu Mahasabha |
1957 | Vijaya Raje Scindia | Congress |
1962 | Ramsahai Pande | Congress |
1967 | Vijaya Raje Scindia / JB Kriplani (bypoll) | Swatantra Party |
1971 | Madhavrao Scindia | Bharatiya Jana Sangh |
1977 | Madhavrao Scindia | Janata Party |
1980 | Madhavrao Scindia | Congress (I) |
1984 | Mahendra Singh | Congress |
1989 | Vijaya Raje Scindia | BJP |
1991 | Vijaya Raje Scindia | BJP |
1996 | Vijaya Raje Scindia | BJP |
1998 | Vijaya Raje Scindia | BJP |
1999 | Madhavrao Scindia | Congress |
2002 | Jyotiraditya Scindia (2002+2004) | Congress |
2009 | Jyotiraditya Scindia | Congress |
2014 | Jyotiraditya Scindia | Congress |
2019 | KP Yadav | BJP |
2024 |
2024 का समीकरण क्या है?
यह चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए अलग है क्योंकि वे इस बार बीजेपी से चुनाव में उतर रहे हैं. अब देखना होगा कि उनके सामने कौन चुनाव में उतरता है. वहीं केपी यादव के लिए भी यह काफी दुविधा वाली बात होगी क्योंकि वे भी अभी बीजेपी में हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या वे कांग्रेस में शामिल होंगे.