कैसे होती है इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति, कितनी है सैलरी और क्या होती हैं जिम्मेदारियां?
Election Commissioner: भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने का जिम्मेदारी चुनाव आयुक्त की होती है. चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त होता है जो निर्वाचन आयोग का अध्यक्ष होता है और अन्य चुनाव आयुक्त होते हैं. चुनाव आयोग के अन्य सदस्यों की संख्या राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती है.
Election Commissioner: देश के लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है. भारत के चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने शनिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं, अरुण गोयल के इस्तीफे को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी स्वीकार कर लिया है. इस चौंकाने वाली घटना के बाद अब चुनाव आयोग में केवल मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) राजीव कुमार के कंधों पर सारी जिम्मेदारी आ गई है. दरअसल, पहले से ही एक चुनाव आयुक्त का पद खाली चल रहा है और दूसरे चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने भी इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, हमारा यह लेख इस विषय पर है कि आखिर चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कैसे होती है, उन्हें कितनी सैलरी और भत्ते मिलते हैं और उनकी क्या जिम्मेदारियां होती हैं. इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे इस लेख में मिल जाएंगे.
दरअसल, भारत में हर साल कई राज्यों में चुनाव होते हैं. इस साल भी भारत में लोकसभा चुनाव होने हैं. इसके लिए चुनाव आयोग तमाम तरह की तैयारियां कर रहा है. देश में चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के पास ही होती है. चुनाव अधिकारियों को नियुक्त करने से लेकर वोटिंग और वोटों की गिनती कराने तक सभी काम चुनाव आयोग कराता है.
चुनान आयोग में कुल तीन चुनाव आयुक्त
चुनान आयोग में तीन चुनाव आयुक्त होते हैं, जिसमें से एक मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) होता है और उनके साथ दो अन्य चुनाव आयुक्त (Election Commissioner) नियुक्त किए जाते हैं. देशभर में होने वाले चुनाव से जुड़े तमाम बड़े फैसले यही तीनों लेते हैं. बता दें कि पहले देश में एक ही चुनाव आयुक्त हुआ करता था, जिसके बाद इनकी संख्या को तीन कर दिया गया. भारतीय संविधार के अनुच्छेद 324(2) में भारत के राष्ट्रपति को मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा चुनाव आयुक्तों की संख्या समय-समय पर बदलने की ताकत दी गई है.
कैसे होती है चुनाव आयुक्त की नियुक्ति?
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का कानून 29 दिसंबर 2013 को बदला गया था. इसके तहत, विधि मंत्री और दो केंद्रीय सचिवों की सर्च कमेटी 5 नाम शॉर्टलिस्ट कर चयन समिति को देगी. इनमें से प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता की तीन सदस्यीय समिति एक नाम तय करेगी. इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति होगी.
कितना वेतन लेते हैं चुनाव आयुक्त?
चुनाव आयोग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और बाकी दो चुनाव आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर ही सैलरी दी जाती है. इसके अलावा इन्हें मिलने वाले भत्ते भी सुप्रीम कोर्ट के जज को दिए जाने वाले भत्ते के बराबर होते हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के एक जज को करीब ढाई लाख रुपये सैलरी मिलती है. मुख्य चुनाव आयुक्त और बाकी दो चुनाव आयुक्तों को 6 साल के लिए राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है. हालांकि, इनका कार्यकाल बढ़ाया भी जा सकता है. वहीं, मुख्य चुनाव आयुक्त के सेवानिवृत्ति का आयु 65 वर्ष और बाकी दो चुनाव आयुक्त के सेवानिवृत्ति का आयु 62 वर्ष होती है.
चुनाव आयुक्त की क्या हैं जिम्मेदारियां?
चुनावी प्रक्रिया का प्रबंधन: चुनाव आयुक्त का प्रमुख कार्य है चुनावी प्रक्रिया का संचालन करना. चुनाव आयुक्त चुनावी प्रक्रिया की योजना बनाता है, चुनावी अवधि की तारीखों का निर्धारण करता है, मतदान केन्द्रों का चयन करता है, चुनावी निरीक्षकों का चयन करता है, और चुनाव अधिसूचनाओं को जारी करता है.
चुनावी गतिविधियों की निगरानी: चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी में यह भी है कि वह चुनावी गतिविधियों की निगरानी करे और सुनिश्चित करे कि प्रत्येक चरण में नियमों और विधियों का पालन किया जाए.
चुनावी विवादों का समाधान: चुनाव आयुक्त के पास चुनावी विवादों और शिकायतों का समाधान करने की जिम्मेदारी भी होती है. वे आमतौर पर चुनावी आचार संहिता के तहत चुनावी उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करता है.
मतदाताओं की जागरूकता: चुनाव आयुक्त को मतदाताओं को उनके मतदान के अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसलिए भारत में चुनाव आयुक्त मतदाताओं को शिक्षित करने के लिए कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों का संचालन करते हैं.
चुनावी आचरण संहिता का अनुपालन: चुनाव आयुक्त के पास चुनावी आचरण संहिता का पालन करने की भी जिम्मेदारी होती है. यह संहिता चुनावी प्रक्रिया के दौरान नियमों का पालन करने के लिए होती है और मतदाताओं की सुरक्षा और अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है.