लोकसभा चुनाव: सपा-कांग्रेस के अरमानों पर पलीता लगाने उतरेंगे AIMIM के प्रत्याशी, UP की इन 7 सीटों पर ओवैसी करेंगे दावेदारी
UP Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में सात लोकसभा सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल इस्लाम (AIMIM) पर चुनाव लड़ेगी. इससे कांग्रेस और सपा गठबंधन का समीकरण बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया है.
Loksabha Election 2024 AIMIM: असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल इस्लाम (AIMIM) ने उत्तर प्रदेश में सात लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन पर सौतेले व्यवहार का आरोप लगाते हुए AIMIM की ओर से गुरुवार को यह जानकारी दी गई.
यूपी की मुस्लिम बहुल सात सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी आईएमआईएम
आईएमआईएम नेता सैयद असिम वकार ने कहा कि हमारी पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के साथ तीन दौर की बातचीत हो चुकी है. हम उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद, फिरोजाबाद, संभल, बदांयू, अमरोहा, मेरठ और आज़मगढ़ लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रहे हैं. यूपी की इन मुस्लिम बहुल इलाकों में आईएमआईएम अपने उम्मीदवार उतारेगी तो जाहिर है इसका सीधा नुकसान विपक्षी पार्टी सपा, कांग्रेस और बसपा को ही होगा.
अखिलेश यादव और उनके परिवार की लोकसभा सीटों पर टकराएंगे ओवैसी के उम्मीदवार
यूपी में एआईएमआईएम ने जिन लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के साफ संकेत दिए हुए हैं उन सात में से चार सीटें वो हैं जिन पर अखिलेश यादव के परिवार के लोग सपा उम्मीदवार हैं या हो सकते हैं. ओवैसी की पार्टी के बताए लोकसभा सीटों में पहले दिवंगत मुलायम सिंह यादव और उसके बाद अखिलेश यादव की सीट रही आजमगढ़, चाचा शिवपाल यादव की बदायूं, प्रो रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव की सीट फिरोजाबाद और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की मैनपुरी सीट शामिल है.
अखिलेश यादव को सीधा निशाना बना चुके है एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवैसी
इससे पहले एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवैसी ने 21 फरवरी को भी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपना निशाना बनाया था. उन्होंने कहा था कि अखिलेश यादव 2014, 2017, 2019 और फिर 2022 में भाजपा के खिलाफ चुनाव हार गए. ओवैसी ने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान अपने इतिहास में सबसे अधिक मुस्लिम वोट हासिल करने के बावजूद अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में भाजपा की सफलता को रोकने में असमर्थ रही थी.