Tarvar Singh Lodhi Social Score: लोकसभा चुनाव 2024 में मध्य प्रदेश की दमोह लोकसभा सीट काफी सुर्खियों में है. दमोह पर पिछले 35 सालों से भाजपा का कब्जा रहा है. यहां भाजपा और कांग्रेस दोनों ने लोधी समाज से प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. कांग्रेस के उम्मीदवार तरवर सिंह लोधी और भाजपा के राहुल सिंह लोधी. बुंदेलखंड में हर चुनाव में जातिगत समीकरण बेहद मायने रखता है. राजनैतिक पार्टियां इसी के आधार पर प्रत्याशी तय करती हैं. इस बीच 'ज़ी न्यूज़' ने चुनाव मैदान में उतरे कई नेताओं के लीडर सोशल स्कोर (LSS) निकाले हैं. चलिए आपको बताते हैं कि दमोह में कांग्रेस उम्मीदवार तरवर सिंह लोधी का सोशल मीडिया स्कोर कितना है. 


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जमीनी नेता की पहचान, सरपंच के रूप में सियासी सफर शुरू 


9 फरवरी 1980 को सागर जिले के बंडा ब्लॉक के ग्राम पड़वार में जन्मे तरवर सिंह का सियासी सफर सरपंच के तौर पर शुरू हुआ. लोधी समाज से आने के कारण ग्रामीण इलाके में उनकी अच्छी पकड़ रही. 2015 में वो जिला पंचायत सदस्य बने. अपनी वाकपटुता, जोशीले अंदाज और संगठन कौशल की वजह से वो कांग्रेस पार्टी के नेताओं पर अपना प्रभाव छोड़ने में सफल हुए. 


साल 2018 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार बने विधायक 


2018 में कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को बांडा विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में वो भाजपा के हरवंश राठौर को 25 हजार वोटों से हराकर पहली बार विधायक बने. तरवर सिंह को 84456 वोट मिले थे. जबकि भाजपा प्रत्याशी  हरवंश राठौर के पाले में 60292 वोट ही आए. 


हार के बावजूद बने रहे कांग्रेस आलाकमान के पसंदीदा नेता


मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस ने फिर से तरवर सिंह पर भरोसा जताया. इस बार भी उन्हें बांडा सीट से टिकट मिली. लेकिन इस चुनाव में वो अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहे. भाजपा के वीरेंद्र लोधी ने उन्हें 35 हजार वोटों के अंतर से हराया. हालांकि, हार के बावजूद तरवर सिंह लोधी अपना पार्टी के आलाकमान के प्रिय बने रहे. 


पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी, दमोह में गहरी पैठ


तरवर सिंह लोधी को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का करीबी बताया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने ही उन्हें टिकट दिलाया था. दमोह की राजनीति में भी तरवर सिंह लोधी की अच्छी पैठ है. इसके अलावा वो दमोह के ऐसे समाज (लोधी वर्ग) से ताल्लुक रखते हैं, जो आबादी में 22.4 प्रतिशत के आसपास है. यही कारण है कि कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया है. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव जीतकर कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाती है या नहीं.


डिस्क्लेमर: लीडर्स सोशल स्कोर (LSS) मशीन लर्निंग पर आधारित है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े 55 से ज्यादा पैरामीटर्स के आधार पर इसे निकाला गया है.