UP News: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिसात बिछाए जाने लगी है. मोहरे सेट किए जा रहे हैं और कौन का दांव चलना है, उसके लिए माथापच्ची हो रही है. भारत में अगर किसी पार्टी को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना है तो उसका रास्ता यूपी से होकर जाता है. 80 लोकसभा सीटों वाला यूपी कितना अहम है, ये तमाम राजनीतिक पार्टियां जानती हैं. लेकिन इस बीच यूपी की सियासत दिलचस्प हो गई है. 


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अंतिम दौर में है बातचीत


सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी और जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत अंतिम दौर में है. बताया जा रहा है कि बीजेपी जयंत की पार्टी को दो लोकसभा और 1 राज्यसभा सीट दे सकती है. लेकिन आरएलडी ने 4 लोकसभा सीट मांगी हैं. बीजेपी का तर्क है कि 2019 में आरएलडी ने सपा-बीएसपी गठबंधन में सिर्फ 3 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें मथुरा, बागपत और मुजफ्फरनगर शामिल है. बताया जा रहा है कि बीजेपी जयंत को बागपत और मथुरा या कैराना सीट दे सकती है.


जयंत चौधरी पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते हैं. बीजेपी आरएलडी पर परिवारवाद के आरोप लगाती रही है. लेकिन जाटलैंड कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत की पार्टी आरएलडी की अच्छी पकड़ है. बीजेपी वेस्ट यूपी में मुस्लिम-जाट वोट बैंक के असर को कम करने और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) से मुकाबला करने के लिए जयंत चौधरी को अपने साथ मिलाना चाहती है.  


जयंत गए तो इंडिया को लगेगा एक और झटका


अगर जयंत चौधरी बीजेपी का दामन थामते हैं तो नीतीश कुमार के बाद इंडिया गठबंधन के लिए यह दूसरा झटका होगा. हालांकि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा, उन्हें भरोसा है कि जयंत चौधरी कहीं नहीं जाएंगे. वह पढ़े-लिखे हैं और राजनीति को समझते हैं. वह इंडिया गठबंधन से जुड़े रहेंगे. दिलचस्प बात ये है कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच गठबंधन हो चुका है. सीट शेयरिंग पर भी बात बन गई थी. लेकिन जयंत इंडिया गठबंधन को ठेंगा दिखाकर बीजेपी के साथ क्यों जा रहे हैं, यह सवाल हर कोई पूछ रहा है. गौरतलब है कि वेस्ट यूपी में 10-12 सीटों पर जयंत चौधरी की पार्टी का दबदबा है. वेस्ट यूपी में करीब 17 परसेंट आबादी जाट वोटर्स की है. विधानसभा की 50 सीटों पर भी जाट वोटर्स बाजी पलट सकते हैं.