Lok Sabha Elections 2024: भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र की सत्ता में हैट्रिक लगाने के लिए लोकसभा चुनाव 2024 की बिसात पर फिर एक सधी हुई चाल चली है. ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल की एनडीए में वापसी के संकेत और बंगाल में तापस रॉय जैसे कद्दावर तृणमूल कांग्रेस नेता के भाजपा में आने से पूर्वी भारत में सीटों की संख्या में इजाफे की गुंजाइश बढ़ती दिख रही है. भाजपा ने अपने 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर विपक्षी दलों के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है.


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पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण... देश के सभी राज्यों के लिए भाजपा का फोकस्ड फॉर्मूला


इसी तरह लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा ने हिंदी भाषी और गैर हिंदी भाषी राज्यों के लिए अलग-अलग रणनीति अपनाई है. पूर्वोत्तर में त्रिपुरा में टिपरा मोथा को एनडीए मेे लाने के साथ ही विपक्ष लगभग खत्म हो गया है. असम, अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, नगालैंड, मिजोरम में भाजपा ने कड़ी किलाबंदी की है. बंगाल और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों और पश्चिमी इलाके के साथ भाजपा के प्लान में उत्तर और दक्षिण भारत के राज्यों का भी खास ध्यान रखा गया है. भाजपा आलाकमान जरूरत पड़ने पर रणनीति में बदलाव भी कर रही है.


पीएम मोदी का टास्क- लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा 370 और एनडीए 400 पार 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा 370 और एनडीए 400 पार का नारा देकर विपक्ष को मनोवैज्ञानिक दबाव में डाल दिया है. साथ ही केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत तमाम बड़े नेताओं को बड़े मिशन पर लगा दिया है. इसके लिए भाजपा देश के अलग-अलग राज्यों के हिसाब से स्थानीय स्तर पर अलग-अलग और खास रणनीति आजमा रही है. जिन राज्यों में भाजपा कमजोर दिख रही है, वहां गठबंधन को तवज्जो दी जा रही है. एनडीए का कुनबा बढ़ाया जा रहा है. वहीं, जिन राज्यों में भाजपा मजबूत है, वहां खुद सभी या ज्यादा सीटों पर चुनाव मैदान में है. आइए, भाजपा के इस स्पेशल फॉर्मूले के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.


भाजपा की चरणबद्ध, क्रमबद्ध और योजनाबद्ध रणनीति, उच्च स्तरीय टीम को जिम्मेदारी


विपक्षी दलों के नेताओं को अपने संग मिलाने के साथ ही भाजपा विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को भी एनडीए में शामिल करने में जुटी है. विपक्षी दलों के नेताओं को आकर्षित करने के लिए भाजपा ने बकायदा चरणबद्ध, क्रमबद्ध और योजनाबद्ध रणनीति बनाई है. भाजपा में इसके लिए एक उच्च स्तरीय टीम भी गठित कर रखी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक भूपेंद्र यादव, हिमंत बिस्वा सरमा, विनोद तावड़े और बीएल संतोष जैसे दिग्गज नेता मिलकर भाजपा में शामिल होने वालों की स्क्रूटनी करते हैं. देश में 40 या उससे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले चार राज्यों उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है.


उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग से आगाज


हिंदी भाषी उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग भाजपा की खास रणनीति का ही हिस्सा था. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूपी में जयंत चौधरी के विपक्षी गठबंधन से तोड़कर एनडीए में लाना और योगी कैबिनेट का विस्तार भी इसी प्लान के मुताबिक था. रालोद जहां पश्चिमी यूपी वहीं ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान जैसे नेता पूर्वांचल में भाजपा के काम आएंगे. 


इसके अलावा अंबेडकरनगर से बसपा सांसद रितेश पांडेय ने मायावती की हाथी से उतरकर बीजेपी का दामन थाम लिया है. राज्यसभा चुनाव में मनोज पांडेय, राकेश पांडेय, पूजा पाल, राकेश प्रताप सिंह, विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मार्य और अभय सिंह जैसे सपा विधायक खुलकर बागी हो गए. कांग्रेस नेता रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम भी पीएम मोदी के गुण गाने में जुट गए हैं.


बिहार-झारखंड-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ा एनडीए कुनबा


बिहार में नीतीश कुमार को इंडी गठबंधन से एनडीए में वापस लाना और जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान, पशुपति पारस वगैरह को साधकर सरकार ही बदल दी गई. कांग्रेस और राजद के तीन विधायक एनडीए में शामिल हो गए हैं. कांग्रेस विधायक मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरव और राजद विधायक संगीता देवी ने पाला बदल लिया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी और कांग्रेस की अकेली सांसद गीता कोड़ा ने भाजपा का रुख कर लिया. राज्य के कोल्हान क्षेत्र में उन्हें सीएम चंपई सोरेन से भी ज्यादा ताकतवर माना जाता है. 


इसी तरह मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष रहे कमलनाथ और छत्तीसगढ़ में पूर्व मंत्री टीएस सिंहदेव पर निगाह रखी जा रही है. राजस्थान में विधायक महेंद्र जीत सिंह मालवीय ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया है. हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस के 6 विधायकों के साथ बागी बने हुए हैं. उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्वोत्तर से महाराष्ट्र तक में विपक्षी नेता लगातार भाजपा और एनडीए में एंट्री ले रहे हैं.


महाराष्ट्र में देवड़ा, चव्हाण,  पाटिल, सिद्दिकी के बाद भी पिक्चर बाकी


महाराष्ट्र में जब मिलिंद देवड़ा कांग्रेस छोड़कर शिवसेना में शामिल हुए तो सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा था कि यह सिर्फ ट्रेलर है, पिक्चर तो अभी बाकी है. इसके बाद कांग्रेस के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, बासवराज पाटिल, बाबा सिद्दिकी समेत आधा दर्जन से ज्यादा बड़े नेता भाजपा या एनडीए के दूसरे दलों में शामिल हो चुके हैं. कई नेता अभी भी लाइन में बताए जाते हैं. यानी जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आएगा, वैसे-वैसे यह सिलसिला और भी तेज हो सकता है. 


पीएम मोदी-अमित शाह के गृह क्षेत्र गुजरात में भी कांग्रेस धराशायी


गुजरात में भी लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक के बाद एक करारा झटका लग रहा है. कांग्रेस के आदिवासी चेहरा रहे राज्यसभा सदस्य और पूर्व रेल राज्य मंत्री नारायण राठवा अपने बेटे संग्राम सिंह के साथ भाजपा में शामिल हो गए हैं. अर्जुन मोढ़वाडिया भाजपा में आ गए.  गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छोटा उदेपुर से विधायक मोहन सिंह ने पार्टी छोड़ी थी. इसके अलावा जनवरी में सीजे चावड़ा और चिराग पटेल ने कांग्रेस छोड़ दी थी. दोनों 2022 में ही विधायक चुने गए थे.


दक्षिण के राज्यों में भाजपा की रणनीति 'मिशन साउथ' पर नजर 


दक्षिण के राज्यों में भाजपा की रणनीति 'मिशन साउथ' पर नजर डालें तो तमिलनाडु में कांग्रेस की तीन बार की विधायक विजयाधरानी ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है. कर्नाटक में भाजपा ने जेडीएस के साथ गठबंधन किया है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़कर कांग्रेस में गए जगदीश शेट्टार घर वापसी कर चुके हैं. 


आंध्र प्रदेश में भाजपा अपने पुराने साथी टीडीपी और उसके सहयोगी जनकल्याण पार्टी के साथ गठबंधन की स्क्रिप्ट लिखने की तैयारी कर रही है. वहीं, केरल में कांग्रेसी दिग्गज और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी के बाद अब चार बार केरल के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुके के करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल भी भाजपा में शामिल हो सकती हैं. पांडिचेरी में भी इकलौती लोकसभा सीट पर भाजपा चुनाव लड़ रही है.