Rajesh Verma: सीतापुर में बीजेपी ने तीसरी बार राजेश वर्मा पर जताया भरोसा, क्या है उनका सोशल स्कोर
Rajesh Verma Sitapur Seat: उत्तर प्रदेश की सीतापुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने तीसरी बार राजेश वर्मा को टिकट दिया है. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में राजेश वर्मा ने बसपा के नकुल दुबे को एक लाख से ज्यादा मतों से हराया था.
Rajesh Verma: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश की सीतापुर लोकसभी सीट एक बार फिर सुर्खियों में हैं. सुर्खियों की वजह यह है कि यहां के चुनाव मैदान में उतरे तीन प्रमुख दलों के प्रत्याशी 2019 के लोकसभा चुनाव में एक ही पार्टी में थे.
भाजपा ने जहां वर्तमान सांसद राजेश वर्मा पर भरोसा जताया है. यानी लगातार तीसरी बार बीजेपी ने राजेश वर्मा को सीतापुर लोकसभा से टिकट दिया है. वहीं, कांग्रेस ने पूर्व विधायक राकेश राठौर को तो बसपा ने पूर्व विधायक महेंद्र सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा है. दिलचस्प बात यह है कि ये तीनों उम्मीदवार पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी में थे.
चुनावी सरगर्मी के बीच बीच 'ज़ी न्यूज़' ने चुनाव मैदान में उतरे कई नेताओं के लीडर सोशल स्कोर (LSS) निकाले हैं. चलिए आपको बताते हैं कि सीतापुर में बीजेपी उम्मीदवार राजेश वर्मा का सोशल मीडिया स्कोर कितना है.
कौन हैं राजेश वर्मा
6 नवंबर 1960 को सीतपुर जिले के तंबौर ग्राम में जन्मे राजेश वर्मा का सियासी सफर 1996 में बेहटा विधानसभा क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी के रूप में शुरू हुई. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार मिली थी. बाद में 1999 और 2004 में वो बसपा के टिकट पर ही लोकसभा चुनाव जीता. 2009 के लोकसभा चुनाव में राजेश वर्मा को हार मिली. जिसके बाद 2013 में उन्होंने बसपा पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद हुए दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में वो बीजेपी से सांसद चुने गए हैं.
सीतापुर लोकसभा सीट का इतिहास
1952 में सीतापुर लोकसभा सीट पर हुए पहले लोकसभा चुनाव में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के चचेरे भाई की पत्नी उमा नेहरू ने जीत हासिल की थी. इस तरह उमा नेहरू इस सीट से पहली सांसद बनीं थी. 1957 के लोकसभा चुनाव में भी उमा नेहरू ने जीत दर्ज की. लेकिन 1962 में हुए लोकसभा चुनाव में उमा नेहरू को जनसंघ के उम्मीदवार सूरजलाल वर्मा के हाथों शिकस्त झेलनी पड़ी थी. इस सीट पर वर्तमान में लगभग 18 लाख वोटर्स हैं. जातीय समीकरण के हिसाब से इस सीट पर सबसे ज्यादा 27 फीसदी दलित मतदाता हैं.
डिस्क्लेमर: लीडर्स सोशल स्कोर (LSS) मशीन लर्निंग पर आधारित है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से जुड़े 55 से ज्यादा पैरामीटर्स के आधार पर इसे निकाला गया है.