Loksabha Election 2024: चुनावी मौसम आते ही पुराने सियासी किस्सों की चर्चा तेज हो जाती है. नेताओं में एक-दूसरे की बुराई का दौर भी परवान चढ़ने लगता है. लगे हाथ किसी को अपना किया अच्छा काम याद आता है तो अपना ही बखान करने लगता है. जम्मू-कश्मीर में भी ऐसा ही हो रहा है. उमर अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ पसंद नहीं आ रही. गुलाम नबी आजाद का पीएम मोदी की तरफ झुकाव उमर अब्दुल्ला को परेशान कर रहा है. जिसके बाद उन्होंने आजाद पर जी भरकर भड़ास निकाली. 


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अब्दुल्ला का आजाद पर हमला


जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद नेशनल कांफ्रेंस की मदद से दो बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए. इसके बावजूद भी वे नेशनल कांफ्रेंस पर हमला करते नहीं थकते. उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस व भाजपा के प्रति उनके हमलों में अंतर उनके "एजेंडे" को दर्शाता है. 


आजाद को याद दिलाई पुरानी बात


अब्दुल्ला ने नेशनल कांफ्रेंस पर आजाद के हालिया हमलों का जवाब देते हुए कहा कि क्या डीपीएपी के नेता नेशनल कांफ्रेंस से मिलीं पिछली सभी "मदद" भूल गए हैं. उन्होंने कहा, “मैं चाहूंगा कि वह पार्टी (आजाद की डीपीएपी) जितनी तीव्रता से हम पर हमला करती है उससे अधिक तीव्रता से भाजपा पर हमला करे. इससे उनका एजेंडा पता चलता है. हर कोई जानता है कि जब आजाद प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते हैं और फारूक अब्दुल्ला साहब की आलोचना करते हैं तो इसका क्या मतलब होता है.” 


क्या वह सब कुछ भूल गए हैं?


उन्होंने कहा, “वह हमारे सदस्यों की वजह से राज्यसभा पहुंचे. उनकी पत्नी शमीमा जी डॉ. फारूक अब्दुल्ला साहब को फोन करके रोते हुए बोली थीं कि आपने आजाद साहब को राजनीति में नयी जिंदगी दी. क्या वह सब कुछ भूल गए हैं? समय बदल गया है. वह भी बदल गए हैं.”


अब्दुल्ला की पीएम मोदी के साथ सीक्रेट मीटिंग!


याद दिला दें कि गुलाम नबी आजाद ने दावा किया था कि फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला पीएम मोदी के साथ सीक्रेट मीटिंग करते हैं. आजाद ने कहा था कि दोनों पिता-पुत्र जांच के दायरे में आने से बचने के लिए रात में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिलते हैं.  


आजाद ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर साधा था निशाना


डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के चीफ गुलाम नबी आजाद फारूक और उमर अब्दुल्ला के रुख में दोहरेपन का आरोप भी लगाया था. उन्होंने कहा था कि वो श्रीनगर में कुछ, जम्मू में कुछ और दिल्ली में कुछ और कहते हैं.


(एजेंसी इनपुट के साथ)