इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.. आखिर क्यों 370 पर अटकी हुई हैं महबूबा मुफ्ती?
Kashmir News: लोकसभा चुनावों के बीच महबूबा मुफ्ती ने कहा कि लोग यह संदेश देने के लिए मतदान कर रहे हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाना गैरकानूनी था और इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.
Mehbooba Mufti News: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने चल रहे मतदान और चुनावों को लोगों के लिए अपनी दबी हुई भावनाओं को व्यक्त करने और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को यह बताने का अवसर बताया कि 5 अगस्त, 2019 को जो कुछ भी हुआ, वह अस्वीकार्य है और इसे हर कीमत पर वापस लिया जाना चाहिए. चुनावी रैलियों को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पीडीपी का मानना है कि चल रही चुनावी प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी सिर्फ केंद्र को यह जवाब देने के लिए है कि अनुच्छेद 370 को हटाना कश्मीर के लोगों को स्वीकार्य नहीं है.
इखवानियों की एक नई नस्ल?
विपक्ष पर कड़ा रुख अपनाते हुए महबूबा ने कहा, “पीडीपी ने 2002 में सत्ता में आने पर इखवान (सरकारी बंदूकधारियों) को खत्म कर दिया था, लेकिन कश्मीर में इखवानियों की एक नई नस्ल को स्थापित कर दिया गया है- उनका एकमात्र काम टाई पहनना, लोगों के पास जाना, उन्हें धमकाना और युवाओं को पुलिस थानों में बंद करना है. उन्होंने कहा.
मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा
महबूबा ने कहा कि हमारी लड़ाई किसी खास पार्टी या निजी फायदे के लिए नहीं है, बल्कि 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले के खिलाफ है. उन्होंने संसदीय कार्यकाल के दौरान अनुच्छेद 370 से जुड़े मुद्दों पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के 3 सांसदों की चुप्पी की आलोचना की. हमारी लड़ाई किसी पार्टी से नहीं है, कुर्सी या किसी पद के लिए भी नहीं है. यह 5 अगस्त 2019 को लिए गए फैसले के बारे में है. जम्मू जाकर देखिए कि वहां के स्थानीय लोगों को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
उनके पास कोई काम नहीं है. उनके कारोबार छीने जा रहे हैं. लद्दाख में भी यही स्थिति है. कश्मीर घाटी को खुली जेल बना दिया गया है. बिना किसी कारण के किसी युवा को हिरासत में ले लिया जाता है. पहले अगर किसी युवा को हिरासत में लिया जाता था तो पूरा मोहल्ला पुलिस थाने पहुंच जाता था. अब स्थिति यह है कि जेल में बंद युवाओं के माता-पिता भी अपने बच्चों की रिहाई के लिए आवाज नहीं उठा सकते. उन्होंने कहा.
मौजूदा चुनाव पार्टी राजनीति से परे
मुफ्ती ने आरोप लगाया, "हमारे संसाधन छीने जा रहे हैं, इसलिए मैं कहती हूं कि मौजूदा चुनाव पार्टी राजनीति से परे हैं. अब लोगों को फैसला करना है. जब अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब पांच साल तक नेशनल कॉन्फ्रेंस संसद में थी. एक बार भी उन्होंने इस मुद्दे को नहीं उठाया. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यह नहीं पूछा कि हमारे हजारों युवाओं को क्यों जेल में डाला जा रहा है, आम लोगों को क्यों परेशान किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, "यह पीडीपी ही थी जो संसद में न होते हुए भी सबसे आगे रही और केंद्र सरकार से कहती रही कि 5 अगस्त, 2019 को जो किया गया वह असंवैधानिक, अवैध और मनमाना था. इसे वापस लेने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है," महबूबा ने कहा. समारोह ख़त्म होने के बाद मीडिया से बात करते हुए महबूबा ने कहा, "हम मतदान के माध्यम से नई दिल्ली को बता रहे हैं कि ये फैसले हमें स्वीकार्य नहीं हैं. हमें पूरा भरोसा है कि हम जीत रहे हैं."