Modi Government 3.0: किरेन रिजिजू के संसदीय कार्य मंत्री बनते ही क्यों खफा हो गई कांग्रेस? जयराम रमेश का पीएम मोदी पर निशाना
Congress Attacks On Kiren Rijiju: अरुणाचल पश्चिम लोकसभा सीट से चार बार के सांसद किरेन रिजिजू के केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के तुरत बाद कांग्रेस ने पीएम मोदी पर निशाना साधना शुरू कर दिया. आखिर कांग्रेस किरेन रिजिजू से क्यों नाराज है?
Parliamentary Affairs Minister: कांग्रेस ने संसदीय कार्य मंत्रालय के मंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी सरकार की पसंद किरेन रिजिजू की आलोचना की है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी "नहीं चाहते कि संसद पिछले दशक की तुलना में किसी भी अलग तरीके से काम करे." पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश की अरुणाचल पश्चिम लोकसभा सीट से चार बार के सांसद किरेन रिजिजू ने मंगलवार को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला. इसके तुरत बाद कांग्रेस ने पीएम मोदी पर निशाना साधना शुरू कर दिया.
24 जून से 3 जुलाई तक चलेगा नई संसद का पहला सत्र
भाजपा के सीनियर नेता किरेन रिजिजू को इसके अलावा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का भी प्रभार दिया गया है. पिछली भाजपा सरकार में किरेन रिजिजू ने एक स्वतंत्र प्रभार के रूप में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, पृथ्वी विज्ञान, कानून और न्याय, युवा मामले और खेल विभाग संभाले थे. इसके अलावा वह अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री भी रहे थे. लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने और केंद्र सरकार के गठन के बाद नई संसद का पहला सत्र 24 जून से 3 जुलाई तक चलेगा.
जयराम रमेश ने बगैर नाम लिए साधा किरेन रिजिजू पर निशाना
कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने किरेन रिजिजू का नाम लिए बगैर कहा कि संसदीय कार्य मंत्रालय का आवंटन भरोसे को बहाल करने वाला नहीं है. माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर जयराम रमेश ने पोस्ट में लिखा, ''संसदीय कार्य मंत्रालय का आवंटन एक बात बिल्कुल स्पष्ट कर देता है कि प्रधानमंत्री भरोसा कायम नहीं करना चाहते और नहीं चाहते कि संसद पिछले दशक की तुलना में किसी भी अलग तरीके से काम करे. दैवीय संकेत जो भी हों, इंडिया पीपल्स अलायंस के लक्ष्य स्पष्ट हैं कि संसद के दोनों सदनों में लोगों की इच्छा और जनादेश सबसे असरदार ढंग से दिखेंगे.''
बीजेपी और किरेन रिजिजू ने अभी तक नहीं दिया कोई रिएक्शन
जयराम रमेश के इस बयान पर बीजेपी और किरेन रिजिजू ने अभी तक कोई रिएक्शन ही नहीं दिया है. हालांकि, माना जा रहा है कि मोदी सरकार के एक्टिव मंत्री रहे किरेन रिजिजू के राहुल गांधी पर पुराने हमले को लेकर नाराज कांग्रेस ने उन्हें निशाना बनाया है. इसी साल जनवरी में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का मजाक उड़ाते हुए किरेन रिजिजू ने कहा था कि यात्रा कांग्रेस नेता के "मज़े" के लिए थी.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर लगातार हमलवार रहे किरेन रिजिजू
यात्रा से पहले भी किरेन रिजिजू कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी को लेकर हमलावर रहे हैं. मार्च, 2023 में कानून मंत्री रहे रिजिजू ने लंदन में राहुल गांधी की बयानबाजी की निंदा की और संसद के दोनों सदनों में उनसे माफी की मांग की थी. दिसंबर 2022 में जब राहुल गांधी ने कहा था कि चीनी सैनिक "अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना के जवानों की पिटाई कर रहे हैं" तो रिजिजू ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर पोस्ट किया था, 'राहुल ने न सिर्फ सेना का अपमान किया बल्कि देश की छवि को भी नुकसान पहुंचाया.'
न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच गहराए थे गतिरोध
दिल्ली के कानूनी हलकों के लिए एक बाहरी शख्स किरेन रिजिजू ने नियुक्तियों से लेकर न्यायिक जवाबदेही तक कई प्रमुख मुद्दों पर न्यायाधीशों को काफी कठोरता से आड़े हाथों लिया था. कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ उनके कमेंट और उनके बयान कि कुछ रिटायर्ड जस्टिस न्यायपालिका को विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए उकसाने वाले "भारत विरोधी" प्रयास का हिस्सा थे की काफी आलोचना की गई.
न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच गहराते गतिरोध के बीच रिजिजू की विदाई हुई थी. उच्च न्यायपालिका के खिलाफ केंद्र सरकार के लंबे समय तक विरोध का मुखर चेहरा बन गए किरेन रिजिजू को मई 2023 में कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया था. उनकी जगह संसदीय मामलों और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को तैनात किया गया था.
संसदीय कार्य मंत्रालय क्यों है खास?
संसदीय कार्य मंत्रालय का पहला मकसद संसद और उसके सदस्यों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारों के बाकी मंत्रालयों, विभागों और संगठनों को सेवाएं उपलब्ध करना है.मंत्रालय संसद में सरकार के कामकाज की योजना, समन्वय और निगरानी करके और अन्य मंत्रालयों और विभागों को उनके संसदीय कार्यों को असरदार ढंग से पूरा करने में मदद करके संसद के साथ सरकार की बातचीत को बेहतर बनाने के लिए एक सुविधा देने वाले के रूप में भी कार्य करता है. यह संसद के सदनों द्वारा सरकार को दिए गए सामान्य प्रकृति के निर्देशों और संकल्पों के संबंध में भी सरकार की ओर से प्रतिक्रिया देता है.
सांसदों की सलाहकार समितियों का गठन और बैठकों की व्यवस्था
यह मंत्रालयों के लिए सांसदों की सलाहकार समितियों का गठन और बैठकों की व्यवस्था भी करता है. मंत्रालय संसदीय प्रणाली के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सम्मेलन और कार्यक्रम भी आयोजित करता है. मंत्रालय संसद के दोनों सदनों में मंत्रियों द्वारा दिए गए आश्वासनों पर अमल के लिए अन्य मंत्रालयों और विभागों के साथ भी समन्वय करता है; बहसों से आश्वासन संकलित करना और उनकी पूर्ति की स्थिति की निगरानी करना; और संसद के सदनों में कार्यान्वयन रिपोर्ट प्रस्तुत करना इस मंत्रालय का ही काम है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले कार्यकाल में कौन-कौन रहे संसदीय कार्य?
2019 से 2024 तक मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान भाजपा के धारवाड़ सांसद प्रल्हाद जोशी ने संसदीय कार्य मंत्री के रूप में कार्य किया. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के बाद के सालों के दौरान, मध्य प्रदेश के मुरैना से भाजपा सांसद नरेंद्र सिंह तोमर नवंबर 2018 से मई 2019 तक इस पद पर रहे थे. उनसे पहले, भाजपा के बेंगलुरु दक्षिण से सांसद अनंत कुमार जुलाई 2016 से इस पद पर मुस्तैद थे. मई 2014 से जुलाई 2016 तक इस पद पर वेंकैया नायडू थे. वह बाद में देश के उपराष्ट्रपति भी रहे.
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