Lok Sabha Chunav 2024: देश में हुए चुनावों में कई बार ऐसे मौके आए हैं, जब किसी छोटी सी घटना या बयान ने रातोंरात चुनाव का रुख बदलकर रख दिया. जिस उम्मीदवार को कुछ दिन पहले तक सब लोग हारा हुआ प्रत्याशी मान रहे थे, एकदम से उसके फेवर में चुनावी फिज बदल गई और वह बड़े अंतर से इलेक्शन जीत गया. ऐसा ही वाकया वर्ष 1999 में हुए लोकसभा चुनावों में रायबरेली सीट पर देखने को मिला, जब इलेक्शन हार रहे कांग्रेस उम्मीदवार कैप्टन सतीश शर्मा, प्रियंका गांधी के एक छोटे से भाषण की वजह से भारी बहुमत से चुनाव जीत गए. 


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वर्ष 1999 का रायबरेली का चुनाव


लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट पर कांग्रेस पार्टी की ओर से गांधी परिवार के भरोसेमंद कैप्टन सतीश शर्मा उम्मीदवार थे. वे इससे पहले अमेठी सीट से चुनाव लड़कर लगातार जीत हासिल कर रहे थे. लेकिन 1999 के इलेक्शन में सोनिया गांधी ने खुद अमेठी सीट से इलेक्शन लड़ने का फैसला किया और सतीश शर्मा को रायबरेली सीट पर शिफ्ट कर दिया गया. इस सीट पर कैप्टन सतीश शर्मा के सामने बीजेपी ने अरुण नेहरू को उतारा था.


राजीव गांधी का छोड़ दिया था साथ


अरुण नेहरू राजीव गांधी के चचेरे भाई थे. वे रायबरेली से चुनाव लड़ते रहे थे और लगातार जीते भी थे. वे राजीव गांधी की कैबिनेट में मंत्री भी रहे थे. लेकिन जब कांग्रेस 1989 में वीपी सिंह ने बोफोर्स घोटाले को लेकर कांग्रेस और राजीव गांधी के खिलाफ अभियान शुरू किया तो अरुण नेहरू उनके साथ जुड़ गए. इसके साथ ही गांधी परिवार के साथ उनके रिश्तों में तनाव आना शुरू हो गया. बाद में अरुण नेहरू बीजेपी में शामिल हो गए और लंबे समय तक उससे जुड़े रहे. 


प्रियंका गांधी की हुई एंट्री और...


वर्ष 1999 के चुनाव में जनता खामोश थी और किसी को नहीं पता था कि जीत किसकी होगी. एक और कांग्रेस उम्मीदवार कैप्टन सतीश शर्मा थे तो दूसरी ओर बीजेपी प्रत्याशी अरुण नेहरू. उन दोनों में अरुण नेहरू की जीत की ज्यादा संभावनाएं जताई जा रही थी. तभी रायबरेली चुनाव में प्रियंका गांधी की एंट्री होती है और वे जनसभा में एक छोटा सा लेकिन पब्लिक को टारगेट करने वाला बयान देती हैं. 


'उसे करारा जवाब देना होगा'


प्रियंका गांधी कहती हैं, 'जिसने मंत्रिमंडल में रहते हुए मेरे पिता राजीव गांधी से गद्दारी की, जिसने उनके खिलाफ षडयंत्र रचे. जिसने सत्ता की खातिर अपने ही भाई की पीठ में छुरा घोंप दिया. वह कभी आपके (पब्लिक) के साथ वफादारी नहीं निभा सकता. उस शख्स को पहचानना होगा. उसके खिलाफ खामोश नहीं रहना है बल्कि अपने वोट की ताकत से उसे करारा जवाब देना होगा.'


भारी अंतर से अरुण नेहरू की हुई हार


प्रियंका गांधी ने इस भाषण में अरुण नेहरू का कहीं भी नाम नहीं लिया था लेकिन उनके निशाने पर वही थे. उन्होंने अपने भाषण के जरिए उन्हें परिवार का गद्दार घोषित कर दिया था. उन्होंने जो तीर अंधेरे में चलाया था, वह सटीक निशाने पर बैठा था. रायबरेली की जनता ने 'भाई की पीठ में छुरा घोंपने वाले' भाई को पसंद नहीं किया और अरुण नेहरू यह चुनाव भारी अंतर से हार गए थे. जबकि कैप्टन सतीश शर्मा जीत गए थे.